धनतेरस पर मथुरा में बांके बिहारी मंदिर का खजाना खोला गया
धनतेरस का ऐतिहासिक दिन
मथुरा/वृंदावन: धनतेरस का पावन अवसर मथुरा-वृंदावन के लिए एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना। यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का 160 साल पुराना खजाना, जिसे तहखाना कहा जाता है, 54 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद खोला गया। यह तहखाना आखिरी बार 1971 में खोला गया था और तब से यह बंद था। भक्तों के बीच इस खजाने को लेकर जबरदस्त उत्सुकता है, क्योंकि इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण रहस्यों के खुलने की संभावना है।
इस प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जा रही है। खजाने को खोले जाने के बारे में अधिक जानकारी देते हुए एडीएम मथुरा, पंकज कुमार वर्मा ने बताया, 'आज मंदिर के खजाने के द्वार खोले जाएंगे। इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं और सुरक्षा के मद्देनजर केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई है।'
जानकारी के अनुसार, दोपहर लगभग 1:30 बजे दीप जलाने और मंत्रोच्चारण के बीच खजाने को खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई। शाम 4 बजे मंदिर के कपाट आम दर्शनों के लिए खुलने के कारण इस कार्यवाही को वहीं रोक दिया गया।
टीम ने पहले गेट का ताला तो काट दिया, लेकिन दूसरे गेट को खोलने में असफल रही। कई प्रयासों के बावजूद दूसरा गेट नहीं खुल सका, जिससे कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।
इस प्रक्रिया में अधिकारियों को अब तक केवल एक खाली बॉक्स मिला है, जिसमें ज्वेलरी रखने वाले खाली डिब्बे थे। इसके अलावा, एक चंडिका छत्र भी मिला है, जिसका वजन 2 से 20 ग्राम के बीच बताया जा रहा है।
यह रहस्यमयी कमरा मंदिर के गर्भ गृह के ठीक बगल में स्थित है। पहले दिन की कार्रवाई पूरी हो गई है, लेकिन खजाने का मुख्य रहस्य अभी भी बरकरार है। अब सभी उस क्षण का इंतजार कर रहे हैं जब दूसरा गेट खुलेगा और 160 साल पुराने इस खजाने के रहस्यों का पर्दाफाश होगा।