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नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा के उपाय

28 सितंबर 2025 को नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का महत्व और सरल उपायों के बारे में जानें। माता कात्यायनी को साहस और शक्ति की देवी माना जाता है। इस दिन विशेष उपायों के माध्यम से विवाह में रुकावटें दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने के तरीके बताए गए हैं। जानें कैसे शहद, पीले फूल और पान के पत्तों का उपयोग करके माता को प्रसन्न किया जा सकता है।
 

माता कात्यायनी की पूजा का महत्व

Navratri Maa Katyayani puja remedies : नई दिल्ली | शारदीय नवरात्रि का छठा दिन, 28 सितंबर, माता दुर्गा के शक्तिशाली रूप माता कात्यायनी को समर्पित है। 'मार्कण्डेय पुराण' की 'दुर्गा सप्तशती' में माता कात्यायनी को साहस, शक्ति और सौंदर्य की देवी माना गया है।


ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने यह रूप धारण किया था। उनकी पूजा से विवाह में रुकावटें, स्वास्थ्य समस्याएँ, शत्रु भय और आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं। आइए जानते हैं, नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा और तीन आसान उपायों से कैसे सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।


माता कात्यायनी का स्वरूप

माता कात्यायनी का स्वरूप स्वर्णिम और चार भुजाओं वाला है। उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल, तीसरे में अभय मुद्रा और चौथे में वरदमुद्रा होती है। सिंह पर सवार माता निर्भीकता का प्रतीक हैं। 'दुर्गा सप्तशती' के अनुसार, माता ने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी, इसलिए वे नकारात्मकता और अधर्म का नाश करने वाली हैं।


नवरात्रि का छठा दिन साहस, आत्मविश्वास और प्रेम संबंधों में सफलता के लिए विशेष माना जाता है। विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए उनकी साधना शीघ्र विवाह और दांपत्य सुख देती है। माता को पीला रंग और शहद बेहद प्रिय है, जिसे पूजा में चढ़ाने से उनकी कृपा जल्दी मिलती है।


शहद और पीले फूलों का उपाय

माता कात्यायनी को शहद और पीले फूल बहुत पसंद हैं। इस उपाय से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। 28 सितंबर को सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर माता कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर को लाल कपड़े पर स्थापित करें और गंगाजल से शुद्ध करें।


माता को गेंदा या सूरजमुखी जैसे पीले फूल और शहद या शहद की खीर चढ़ाएँ। फिर 'ॐ देवी कात्यायन्यै नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। यह उपाय नौकरी, व्यापार और दांपत्य जीवन की बाधाओं को दूर करता है। पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में बाँटें और खुद भी ग्रहण करें।


पान के पत्तों का जादुई उपाय

ज्योतिष में पान के पत्तों से माता कात्यायनी को प्रसन्न करने का उपाय बहुत प्रभावी माना जाता है। छठे दिन सुबह 5 साफ पान के पत्ते लें और प्रत्येक पर लाल चंदन से 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र लिखें। इन पत्तों को माता के चरणों में चढ़ाएँ और 'चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी।' मंत्र का 108 बार जाप करें।


पूजा के बाद पत्तों को लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी या धन रखने की जगह पर रखें। अगले दिन, सप्तमी तिथि को इन्हें नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय धन लाभ, नौकरी में उन्नति और जीवन में स्थिरता लाता है।


विवाह की रुकावटें दूर करने के उपाय

माता कात्यायनी विवाह की बाधाएँ दूर करने वाली देवी हैं। यदि विवाह में देरी हो रही है या दांपत्य जीवन में परेशानियाँ हैं, तो यह उपाय बहुत फायदेमंद है। छठे दिन माता को सिंदूर, मेहंदी, चूड़ियाँ और पीले वस्त्र चढ़ाएँ। पूजा स्थल पर जल से भरा कलश रखें, उस पर आम के पत्ते और नारियल स्थापित करें।


फिर 'कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरु ते नमः।' मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा के बाद सुहाग की सामग्री किसी सुहागिन को दान करें। यह उपाय शीघ्र विवाह, प्रेम संबंधों में सफलता और दांपत्य सुख के लिए खास है।


शुभ मुहूर्त में पूजा

28 सितंबर 2025 को षष्ठी तिथि दोपहर 12:06 बजे से शुरू होकर दोपहर 2:28 बजे तक रहेगी। माता कात्यायनी की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:36 से 5:24) या अभिजित मुहूर्त (सुबह 11:48 से 12:35) सबसे अच्छा है। मंत्रों का जाप श्रद्धा से करें:


मुख्य मंत्र

मुख्य मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः


प्रार्थना मंत्र: चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी।


विवाह मंत्र: कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरु ते नमः।


स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।