नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा: जानें विधि और भोग
नवरात्रि का विशेष पर्व
Navratri Day 3: हर साल की तरह, इस बार भी नवरात्रि का शारदीय पर्व विशेष संयोग के साथ आया है। आमतौर पर 9 दिनों तक चलने वाली यह साधना इस वर्ष 10 दिन तक मनाई जाएगी। 22 सितंबर से शुरू होकर, शारदीय नवरात्रि 2 अक्टूबर को समाप्त होगी। इस बार नवरात्रि के तीसरे दिन, मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन तक की जाएगी। इसका कारण यह है कि अश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि दो बार पड़ रही है, जो भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक वरदान है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे की जाती है, उन्हें कौन सा भोग प्रिय है, और कौन से मंत्रों और आरती से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। यह स्वरूप शांति, सौम्यता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। मां चंद्रघंटा अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण करती हैं और उनकी घंटी की आवाज से नकारात्मक शक्तियां भाग जाती हैं।
मां चंद्रघंटा को भोग
इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयों और खीर का भोग अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है। माता को गाय के दूध से बनी खीर या किसी भी प्रकार की दूध वाली मिठाई जैसे रसगुल्ला, रबड़ी, दूध बर्फी आदि चढ़ाई जा सकती है।
मां चंद्रघंटा के मंत्र
मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप अवश्य करें:-
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः
देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता.
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम.
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम.
चंद्र समान तुम शीतल दाती.
चंद्र तेज किरणों में समाती.
क्रोध को शांत करने वाली.
मीठे बोल सिखाने वाली.
मन की मालिक मन भाती हो.
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो.
सुंदर भाव को लाने वाली.
हर संकट मे बचाने वाली.
हर बुधवार जो तुझे ध्याये.
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाए.
मूर्ति चंद्र आकार बनाए.
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं.
शीश झुका कहे मन की बात.
पूर्ण आस करो जगदाता.
कांचीपुर स्थान तुम्हारा.
करनाटिका में मान तुम्हारा.
नाम तेरा रटूं महारानी.
भक्त की रक्षा करो भवानी.
नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान के बाद मां चंद्रघंटा की पूजा का संकल्प लें.
देवी की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं.
फिर अक्षत्, सिंदूर, फल-फूल, धूप-दीप और नैवेद्य से विधिवत पूजा करें.
मां को सेब, केला, खीर, दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं.
पूजा के दौरान मंत्र जाप और अंत में आरती अवश्य करें.
पूजा के उपरांत सभी में प्रसाद वितरित करें.