नवरात्रि के दौरान इच्छाओं पर नियंत्रण कैसे रखें?
नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त देवी दुर्गा की उपासना करते हैं और उपवास रखते हैं। इस दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंधों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जानें कि धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस समय इच्छाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जा सकता है। इस लेख में हम सकारात्मक उपायों के बारे में चर्चा करेंगे, जो इस पर्व को आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से समृद्ध बनाने में मदद करेंगे।
Sep 23, 2025, 16:19 IST
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक चलता है, जिसमें आध्यात्मिक शुद्धता और आत्म-नियंत्रण पर जोर दिया जाता है। इस समय भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और अपनी इच्छानुसार उपवास रखते हैं। इस दौरान पति-पत्नी को शारीरिक संबंधों से दूर रहने की सलाह दी जाती है, जिसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। इस समय, पति-पत्नी के लिए अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना कठिन हो सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वे अपनी इच्छाओं पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, नवरात्रि का उपवास मन और शरीर की शुद्धि का एक साधन है। इसका मुख्य उद्देश्य इंद्रियों पर नियंत्रण पाना और ईश्वर के निकटता का अनुभव करना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारीरिक संबंध जैसी गतिविधियाँ व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग से भटका सकती हैं। उपवास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति का ध्यान देवी की भक्ति और आंतरिक शांति पर केंद्रित होता है, जो मन और आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, उपवास के दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। कम भोजन या फलाहार के कारण ऊर्जा का स्तर घट सकता है। इस स्थिति में, शारीरिक संबंध बनाने से शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए, शरीर को आराम देने और ऊर्जा को बनाए रखने के लिए इस समय शारीरिक गतिविधियों से बचना उचित है।
इच्छाओं पर नियंत्रण कैसे रखें?
नवरात्रि के दौरान पति-पत्नी के लिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसे सकारात्मक तरीके से संभालने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लें: पूजा-पाठ, भजन, आरती और ध्यान में अधिक समय बिताएं।
साथ में समय बिताएं: एक साथ बैठकर बातें करें, किताबें पढ़ें या धार्मिक कथाएं सुनें।
दूसरों की सेवा करें: जरूरतमंदों की मदद में समय बिताएं, जिससे मन को शांति मिलेगी और ध्यान बंटेगा।
ब्रह्मचर्य के महत्व को समझें: पति-पत्नी मिलकर ब्रह्मचर्य के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारणों को समझें और एक-दूसरे का सहयोग करें।
इस प्रकार, नवरात्रि को केवल उपवास के रूप में नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और मानसिक शांति के पर्व के रूप में देखा जा सकता है। यह एक ऐसा समय है जब आप अपने रिश्ते को शारीरिक स्तर से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर पर और गहरा कर सकते हैं।