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नवरात्रि के विशेष दिनों में व्रत से बचने वाली महिलाएं

नवरात्रि के दौरान महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के व्रत का विशेष महत्व है। लेकिन कुछ महिलाओं को इन दिनों व्रत करने से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाएं, मासिक धर्म से गुजर रही महिलाएं और बीमार महिलाएं इन दिनों व्रत नहीं रख सकतीं। जानें इन नियमों के पीछे का धार्मिक महत्व और कैसे महिलाएं बिना व्रत के भी माता की भक्ति कर सकती हैं।
 

महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के व्रत के नियम


महिलाओं के लिए पूजा के नियम
शारदीय नवरात्र का पर्व शुरू हो चुका है, जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दौरान महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के दिन विशेष पूजा का महत्व है। इस वर्ष महासप्तमी का व्रत 29 सितंबर, महाअष्टमी का 30 सितंबर और महानवमी का 1 अक्टूबर को होगा।


इन तीन दिनों में मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत का पालन करना आवश्यक है, लेकिन कुछ महिलाओं को इन दिनों व्रत करने से बचना चाहिए।


गर्भवती महिलाएं


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के दिन व्रत रखना उचित नहीं है। लंबे उपवास से मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, उन्हें हल्का फलाहार करने की सलाह दी जाती है।


मासिक धर्म से गुजर रही महिलाएं


धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि मासिक धर्म के दौरान पूजा करना वर्जित है। महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर यह विशेष रूप से निषेध है। महिलाएं इस दौरान मानसिक जप कर सकती हैं, लेकिन शारीरिक पूजा से बचना चाहिए।


बीमार या कमजोर महिलाएं


यदि कोई महिला पहले से बीमार है या कमजोरी महसूस कर रही है, तो उसे इन दिनों व्रत और कठोर पूजा से बचना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मानसिक पूजा को शारीरिक पूजा से अधिक महत्वपूर्ण माना गया है।


इन तीन श्रेणियों की महिलाएं व्रत ना रखते हुए भी माता की भक्ति कर सकती हैं। वे दीप जलाकर, दुर्गा चालीसा का पाठ करके या दान-पुण्य करके माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।