पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर ईद-उल-अजहा के दौरान बढ़ता विवाद
अहमदिया समुदाय पर प्रतिबंध
ईद-उल-अजहा और अहमदिया समुदाय: पाकिस्तान में ईद-उल-अजहा (बकरीद) के अवसर पर अहमदिया समुदाय के खिलाफ विवाद बढ़ता जा रहा है। लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (LHCBA) ने पंजाब पुलिस के प्रमुख को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि अहमदियों को इस्लामिक परंपराओं का पालन करने से रोका जाए। पत्र में कहा गया है कि ईद-उल-अजहा केवल मुसलमानों का त्योहार है और इसके अनुष्ठान जैसे नमाज और कुर्बानी केवल मुस्लिम समुदाय द्वारा ही किए जाने चाहिए।
LHCBA का कहना है कि पाकिस्तान के कानून और धर्म के अनुसार अहमदिया समुदाय को मुसलमान नहीं माना जाता। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि अहमदिया लोग खुद को मुस्लिम बताकर संविधान, दंड संहिता और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का उल्लंघन कर रहे हैं। उनके द्वारा ईद पर नमाज और कुर्बानी जैसे कार्यक्रम आयोजित करना 'गैरकानूनी' बताया गया है।
अहमदियों से लिखित गारंटी की मांग
अहमदियों से ली जा रही है लिखित गारंटी
पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में अहमदिया समुदाय के सदस्यों से जबरन शपथपत्र (affidavit) पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं, जिसमें उन्हें यह वादा करना पड़ रहा है कि वे ईद की नमाज नहीं पढ़ेंगे और न ही कुर्बानी करेंगे। यदि वे इसका उल्लंघन करते हैं, तो उन पर 5 लाख पाकिस्तानी रुपए (लगभग ₹1.5 लाख) तक का जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यह सब 2023 के एक आदेश के बाद किया जा रहा है, जिसमें अहमदियों को मुस्लिम पहचान अपनाने या इस्लामी रीति-रिवाज निभाने पर रोक लगाई गई थी।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
मानवाधिकार संगठनों ने जताई कड़ी आपत्ति
इस निर्णय की व्यापक आलोचना हो रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि अहमदिया समुदाय के खिलाफ हो रहे इस अन्याय को तुरंत समाप्त किया जाए और उन्हें अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी जाए। एमनेस्टी ने कहा है कि उन्हें लाहौर, कराची, रावलपिंडी और सियालकोट जैसे शहरों से ऐसे दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिनमें अहमदियों को ईद मनाने से रोकने के लिए पुलिस के आदेश दिए गए हैं। कुछ स्थानों पर तो डिटेंशन ऑर्डर भी जारी किए गए हैं ताकि अहमदी ईद का उत्सव न मना सकें।
एमनेस्टी की साउथ एशिया की डिप्टी डायरेक्टर इसाबेल लासे ने कहा, 'पाकिस्तान की सरकार न केवल अहमदियों की सुरक्षा में विफल हो रही है, बल्कि उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को भी कुचल रही है।'
अहमदी मुसलमान कौन हैं?
कौन हैं अहमदी मुसलमान?
अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है और इस्लाम के पांच स्तंभों और छह ईमान के सिद्धांतों का पालन करता है। वे मिर्जा गुलाम अहमद को वादा किया गया मसीहा और पैगंबर मानते हैं, लेकिन साथ ही पैगंबर मोहम्मद का भी सम्मान करते हैं। हालांकि, अधिकांश मुस्लिम संप्रदायों का मानना है कि इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद 'आखिरी पैगंबर' हैं और इसके बाद कोई अन्य पैगंबर नहीं आ सकता। इसी कारण कई मुस्लिम देश अहमदियों को मुस्लिम नहीं मानते। उन्हें हज और उमराह करने की अनुमति नहीं होती और वे सऊदी अरब नहीं जा सकते।