पितृ पक्ष: पितरों को प्रसन्न करने के उपाय और संकेत
पितृदोष से मुक्ति के उपाय
पितृदोष का प्रभाव
पितृ पक्ष का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार, पितरों का स्थान भगवान के समान होता है। यदि पितर नाराज होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं आती हैं। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस वर्ष, यह 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 को समाप्त होगा। इस दौरान पितरों की पूजा, पिंडदान और तर्पण करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति कुछ संकेतों के माध्यम से इसकी पहचान कर सकता है और विशेष उपायों से इसे दूर कर सकता है।
पितृदोष के संकेत
- यदि किसी व्यक्ति पर पितृदोष है, तो उसके वंश का विस्तार नहीं हो पाता। संतान उत्पत्ति में बाधाएं आती हैं।
- घर में पीपल का पौधा उगना भी पितृदोष का संकेत है, जो नकारात्मकता लाता है।
- यदि घर में लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं, तो यह भी पितृदोष का संकेत हो सकता है।
- कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता न मिलना भी पितृदोष का एक संकेत है।
- मांगलिक कार्यों में बार-बार बाधाएं आना, यह दर्शाता है कि पितर आपसे खुश नहीं हैं।
पितृदोष से मुक्ति के उपाय
- पितृ पक्ष में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
- पितरों के नाम का भोजन और जल निकालना चाहिए।
- पितरों की तस्वीरों का ध्यान रखना आवश्यक है।
- पितृ पक्ष में उनके नाम का दिया जलाना चाहिए।
- पूजा और हवन में पितरों की पूजा करना चाहिए।
- दान-पुण्य करने से भी पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
धन की कमी दूर करने का उपाय
पितृ पक्ष के दौरान, सुबह उत्तर-पूर्व दिशा में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। शाम को किचन में पानी के पास दीप जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और धन की कमी दूर होती है।
पितरों को खुश करने का उपाय
यदि आपको लगता है कि आपके पितर नाराज हैं, तो पितृ पक्ष में शाम को पूजा के बाद उपले जलाएं। उपलों में गुड़ और घी मिलाकर जलाने से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।