पितृ पक्ष में मां सीता का गाय को श्राप: एक पौराणिक कथा
गाय ने लालच में आकर बोला झूठ
Pitru Paksha Special, नई दिल्ली: पितृ पक्ष एक पवित्र अवधि है, जो 15 दिनों तक चलती है और इसे पूर्वजों को समर्पित किया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है।
मान्यता है कि इस समय हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण को स्वीकार करते हैं। इस संदर्भ में एक प्राचीन कथा प्रचलित है, जिसमें मां सीता द्वारा गाय को श्राप देने की कहानी है।
श्राप के पीछे की कहानी
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम और लक्ष्मण राजा दशरथ के श्राद्ध के लिए सामग्री जुटाने निकले थे। इस बीच, माता सीता फल्गु नदी के किनारे बैठकर श्राद्ध की रस्में निभा रही थीं। तभी उन्हें राजा दशरथ की आत्मा की पुकार सुनाई दी।
सीता ने सोचा कि यदि वह श्राद्ध नहीं करेंगी, तो यह उनके पिता की आत्मा के लिए उचित नहीं होगा। इसलिए, उन्होंने वहीं पर कुछ सामग्री इकट्ठा कर अपने ससुर का श्राद्ध करने का निर्णय लिया।
जब राम और लक्ष्मण लौटे, तो उन्होंने सीता से पूछा कि क्या श्राद्ध हुआ। सीता ने हां कहा और गवाह के रूप में कुछ चीजों का नाम लिया। राम ने उन गवाहों से पूछा, तो सभी ने सच कहा, सिवाय गाय के, जिसने लालच में आकर झूठ बोला।
इस पर क्रोधित होकर, माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि उसका मुंह हमेशा झूठा रहेगा और वह जूठन खाएगी। इसी कारण आज भी गाय का मुंह हमेशा नीचे की ओर रहता है। वट वृक्ष, फल्गु नदी और अन्य साक्षियों को आज भी सम्मान दिया जाता है।