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पितृ विसर्जन 2025: पितरों की विदाई का धार्मिक अनुष्ठान

पितृ विसर्जन 2025 एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें पितरों को श्रद्धा के साथ विदाई दी जाती है। यह अनुष्ठान अश्विन मास की अमावस्या को होता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का महत्व है। जानें कि कैसे इस दिन विशेष कार्यों से पितरों को शांति मिलती है और राहु से संबंधित बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
 

पितृ विसर्जन का महत्व

पितृ विसर्जन 2025: सनातन धर्म में पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का विशेष महत्व है। सदियों से, पितरों की याद में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान की परंपरा निभाई जाती रही है। पितृ विसर्जन एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें पितृ पक्ष के दौरान धरती पर आए पूर्वजों को श्रद्धा के साथ विदाई दी जाती है। यह अनुष्ठान अश्विन मास की अमावस्या को संपन्न होता है, जिसके बाद पितृगण अपने लोक में लौट जाते हैं।

यह मान्यता है कि यदि पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध या पिंडदान नहीं किया गया है, तो अमावस्या के दिन उन्हें याद करके दान देने और जरूरतमंदों को भोजन कराने से उन्हें शांति मिलती है। इसके अलावा, यदि पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है और श्राद्ध नहीं हो पाया है, तो अमावस्या के दिन श्राद्ध करने का विधान है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इस दान और शुभ कार्यों से राहु से संबंधित बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पितृ विसर्जन के दिन, शाम को पीपल के नीचे या मंदिर के पास सरसों के तेल के 16 दीप जलाने से पितरों को शांति प्राप्त होती है।