पितृपक्ष के बाद पूर्वजों का स्थान: जानें क्या होता है
पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। यह लेख बताता है कि पितृपक्ष समाप्त होने के बाद पूर्वज कहां जाते हैं और पितृलोक का क्या महत्व है। जानें श्राद्ध कर्म के माध्यम से हम अपने पितरों को कैसे विदाई देते हैं और उनके आशीर्वाद का क्या महत्व है।
Oct 1, 2025, 14:52 IST
पितृपक्ष का महत्व
पितृपक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। यह वह अवधि होती है जब हमारे पूर्वज धरती पर आकर अपने वंशजों को देखते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृपक्ष का आयोजन आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक होता है। सर्वपितृ अमावस्या को पूर्वजों के लिए धरती पर रहने का अंतिम दिन माना जाता है। इसके बाद, वे अपने स्थान पर लौट जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पितृपक्ष समाप्त होने के बाद हमारे पूर्वज कहां जाते हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पितृपक्ष के बाद पूर्वजों का क्या होता है।
पूर्वजों का स्थान
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वज एक विशेष लोक में निवास करते हैं, जिसे पितृलोक कहा जाता है। यह लोक पृथ्वी और स्वर्ग के बीच स्थित माना जाता है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा भी पितृलोक में निवास करती है।
पितृपक्ष के बाद की प्रक्रिया
पितृपक्ष के दौरान, यमराज सभी आत्माओं को उनके वंशजों से मिलने के लिए पृथ्वी पर आने की अनुमति देते हैं। पितृपक्ष समाप्त होने के बाद, पृथ्वी लोक के द्वार फिर से बंद हो जाते हैं और सभी पूर्वज अपने स्थान, यानी पितृलोक, वापस लौट जाते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या की रात को जब पितृपक्ष समाप्त होता है, तो माना जाता है कि सभी पितर अपने लोक, पितृलोक, चले जाते हैं। इसी कारण इस दिन पितरों के लिए भोजन और पानी रखा जाता है।
श्राद्ध कर्म का महत्व
यह क्रिया एक प्रतीकात्मक प्रक्रिया है, जो दर्शाती है कि हम अपने पितरों को प्रेम और सम्मान के साथ विदा कर रहे हैं। माना जाता है कि जब पितर संतुष्ट होकर अपने लोक लौटते हैं, तो वे अपने वंशजों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इसके अलावा, जिन लोगों द्वारा श्राद्ध कर्म पूर्ण रूप से सफल होता है, उनके पितर पितृलोक में नहीं रहते, बल्कि मोक्ष प्राप्त कर स्वर्ग के सुख का अनुभव करते हैं या भगवान के निज धाम में रहकर सेवा का अवसर पाते हैं।