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पौष माह में सूर्य पूजा का महत्व और विधि

पौष माह की शुरुआत के साथ सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है। इस लेख में जानें कि कैसे सूर्य को अर्घ्य देना और उनकी पूजा करना आपके जीवन में सकारात्मकता ला सकता है। सही विधि से सूर्य पूजा करने के लाभ और महत्व को समझें।
 

सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व


पौष माह की शुरुआत
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष मास का आगाज़ हो चुका है। इस महीने सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देना उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। सूर्य को देवता का दर्जा प्राप्त है, और इस पूरे महीने उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


इस पूजा का महत्व विशेष रूप से इस बात से है कि जो व्यक्ति इस महीने के किसी एक रविवार को व्रत रखता है और तिल-खिचड़ी का भोग अर्पित करता है, वह तेजस्वी बनता है। आइए जानते हैं कि पौष माह में सूर्य देव की पूजा कैसे की जाती है।


कैसे करें सूर्य की पूजा

सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व


सुबह-सुबह सूर्य को अर्घ्य देना बहुत शुभ होता है। पौष माह ठंड का मौसम होता है, और इस दौरान त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। जो लोग नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देते हैं, उनके शरीर को सूर्य की किरणों का लाभ मिलता है, जिससे त्वचा के रोग कम होते हैं और हड्डियों के दर्द में भी राहत मिलती है।


सूर्य पूजा की विधि


सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद उगते हुए सूर्य का दर्शन करें। फिर 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' का जाप करें और जल अर्पित करें। जल में लाल रोली और लाल फूल मिलाएं। इसके बाद अर्घ्य दें और लाल आसन पर बैठें। ध्यान रखें कि आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर हो। अंत में सूर्य मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।