×

प्रदोष व्रत: महादेव और पितरों का आशीर्वाद पाने के उपाय

प्रदोष व्रत का महत्व और इसके दौरान किए जाने वाले उपायों की जानकारी प्राप्त करें। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। जानें कब है प्रदोष व्रत, पूजा का शुभ मुहूर्त और दान का महत्व। इस व्रत के माध्यम से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति की जा सकती है।
 

महादेव संग पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए करें ये उपाय


प्रदोष व्रत की महिमा
शास्त्रों में प्रदोष व्रत का महत्व विस्तार से बताया गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक को सुख, समृद्धि, शांति और कल्याण का आशीर्वाद मिलता है। इस वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को रात 11:24 बजे प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को रात 11:36 बजे समाप्त होगी। इस दिन प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें शाम 6:21 बजे से 8:43 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।


इन चीजों का करें दान

इस दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है। शिवभक्त विधिपूर्वक शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और बेलपत्र चढ़ाते हैं। दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए वस्त्र, धन, भोजन और सफेद चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।


इन खास मंत्रों का करें जाप

चूंकि यह व्रत पितृ पक्ष में है, इस दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।


पितृ तर्पण मंत्र

  • ॐ पितृभ्य: स्वधा नम:।


पितृ शांति मंत्र

  • ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
    उवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥


श्राद्ध मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।


पितृ दोष निवारण मंत्र

  • ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नम:।


गायत्री पितृ दोष निवारण मंत्र

  • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।


महामृत्युंजय मंत्र

  • ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    ऊवार्रुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।


शिव जी का मूल मंत्र

  • ऊँ नम: शिवाय।।


भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र

  • ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
  • ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
  • ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय।।


शिव के प्रिय मंत्र

  • ॐ नम: शिवाय।
  • नमो नीलकण्ठाय।
  • ॐ पार्वतीपतये नम:।