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फ्लाइट में डॉक्टर की तत्परता से बची बुजुर्ग यात्री की जान

14 जुलाई 2025 को इंडिगो की एक उड़ान में एक बुजुर्ग यात्री की जान संकट में थी। एक फौजी डॉक्टर, मेजर मुकुंदन, ने अपनी तत्परता से उन्हें बचाया। जब विमान में कोई उन्नत चिकित्सा उपकरण नहीं थे, तब भी उन्होंने सीमित साधनों से मरीज की जान बचाने का प्रयास किया। जानें इस अद्भुत घटना के बारे में और कैसे डॉक्टर ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
 

एक अद्भुत घटना का सामना

जब एक उड़ान में जीवन और मृत्यु के बीच का फासला कुछ ही सांसों का रह जाता है, तो किसी अजनबी की मदद किसी देवदूत के समान होती है। 14 जुलाई 2025 को इंडिगो की एक उड़ान में ऐसा ही एक क्षण आया, जब एक बुजुर्ग यात्री की जान संकट में थी और एक फौजी डॉक्टर ने उसे बचाने का साहस दिखाया।


चennai से गुवाहाटी जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E-6011 ने अपने निर्धारित समय पर उड़ान भरी। सफर सामान्य था, यात्री अपने विचारों में खोए हुए थे। लेकिन शाम लगभग 6:20 बजे, अचानक एक बुजुर्ग यात्री की तबीयत बिगड़ गई। उनकी सांसें तेज़ी से चलने लगीं, चेहरा पसीने से तर और शरीर ठंडा पड़ गया।


फ्लाइट स्टाफ ने तुरंत मेडिकल इमरजेंसी की घोषणा की। इस उड़ान में भारतीय सेना के डॉक्टर, मेजर मुकुंदन, भी मौजूद थे। उन्होंने बिना समय गंवाए स्थिति का आकलन किया। हालांकि उनके पास वर्दी नहीं थी, लेकिन डॉक्टर की जिम्मेदारी उनके भीतर जागृत हो गई थी।


मरीज की नब्ज़ बेहद धीमी हो गई थी और उनकी चेतना भी कमज़ोर पड़ रही थी। मेजर मुकुंदन ने तुरंत बताया कि यह हाइपोग्लाइसीमिया का मामला है, यानी खून में शुगर का स्तर बहुत कम हो गया है।


हालांकि विमान में कोई उन्नत चिकित्सा उपकरण नहीं थे, मेजर ने हार नहीं मानी। उन्होंने क्रू से ओआरएस और शक्कर मंगवाई और मरीज को धीरे-धीरे मुंह से घोल देने लगे। उन्होंने लगातार नब्ज़, ऑक्सीजन स्तर और प्रतिक्रिया पर निगरानी रखी।


इस दौरान फ्लाइट स्टाफ ने भी डॉक्टर के निर्देशों का पालन करते हुए उनकी पूरी मदद की। मेजर मुकुंदन ने उस बुजुर्ग यात्री का साथ नहीं छोड़ा, न ही तब जब विमान गुवाहाटी पहुंचा।