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भगवान गणेश का वाहन चूहा: एक रोचक कथा

भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है, का वाहन चूहा बनने की रोचक कथा है। इस लेख में हम गजासुर और क्रौंच की कहानियों के माध्यम से समझेंगे कि कैसे ये पात्र भगवान गणेश के वाहन बने। जानें इन कथाओं का धार्मिक महत्व और उनके पीछे की गूढ़ता।
 

भगवान गणेश का महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजनीय माना जाता है। उन्हें बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है। उनके विशाल शरीर के बावजूद, उनका वाहन एक चूहा है। इस चूहे के पीछे की कहानी शास्त्रों में वर्णित है।


गजासुर की कथा

मुद्गल पुराण में एक कथा है जिसमें गजासुर नामक राक्षस ने भगवान शिव से अजेय होने का वरदान प्राप्त किया। इस वरदान के बल पर उसने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया। जब उसका अत्याचार बढ़ गया, तब भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को उसे पराजित करने का आदेश दिया।


गणेश जी ने गजासुर से युद्ध किया और उसे हराया। पराजित गजासुर ने गणेश जी की शरण ली और अपनी भक्ति प्रकट की। उसने प्रायश्चित के रूप में खुद को एक छोटे चूहे में बदलने की इच्छा जताई, जिसे गणेश जी ने स्वीकार किया। इस प्रकार, गजासुर गणेश जी का वाहन बन गया।


क्रौंच की कथा

गणेश पुराण में क्रौंच नामक गंधर्व की कहानी भी है, जिसने ऋषि वामदेव का अपमान किया। इसके परिणामस्वरूप, ऋषि ने उसे श्राप दिया कि वह एक विशाल चूहा बन जाए। यह चूहा इतना शक्तिशाली था कि उसने कई स्थानों को नष्ट करना शुरू कर दिया।


जब वह ऋषि पाराशर के आश्रम में पहुंचा, तो उसने वहां भी उत्पात मचाया। परेशान होकर ऋषि ने भगवान गणेश से मदद मांगी। गणेश जी ने उसे पकड़ने के लिए पाश फेंका, जिससे वह बेहोश हो गया। जब वह होश में आया, तो उसने गणेश जी से प्रार्थना की।


गणेश जी ने उसे माफ कर दिया और वरदान मांगने को कहा। चूहा अहंकार दिखाते हुए बोला कि उसे कोई वरदान नहीं चाहिए, लेकिन गणेश जी ने उसे अपने वाहन बनने का प्रस्ताव दिया। चूहे ने अंततः यह स्वीकार कर लिया।


धार्मिक जानकारी

यह जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है और केवल सूचना के लिए प्रस्तुत की जा रही है।