भगवान जगन्नाथ की मूर्ति परिवर्तन: 12 साल में क्यों होती है यह अद्भुत प्रक्रिया?
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति (Jagannath Idol) का परिवर्तन एक अनोखी परंपरा है। पुरी की रथ यात्रा (puri rath yatra) का दृश्य, जब लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए एकत्र होते हैं, अद्भुत होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरी जगन्नाथ मंदिर (puri jagannath temple) में भगवान की मूर्ति हर 12 साल में बदल दी जाती है? इसे नवकलेवर (navakalevara) कहा जाता है, जो एक प्राचीन परंपरा है और इसके पीछे एक गहरा रहस्य छिपा है। आषाढ़ मास में होने वाला यह अनुष्ठान इतना पवित्र है कि इसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आइए, जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति क्यों और कैसे बदली जाती है, और इसके पीछे का रहस्य क्या है!
नवकलेवर: नई मूर्ति का पवित्र अनुष्ठान
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को हर 12 साल में बदलने की प्रक्रिया को नवकलेवर (navakalevara) कहा जाता है। यह अनुष्ठान तब होता है जब आषाढ़ मास में अधिक मास आता है, जो लगभग 19 साल में एक बार होता है। अगली बार यह 2031 में होगा। इस दौरान पुरानी लकड़ी की मूर्तियों को हटाकर नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मंदिर के पुजारी विशेष विधि से एक रहस्यमयी 'लट्ठा' को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डालते हैं। कहा जाता है कि इस 'लट्ठा' को देखने से प्राणों को खतरा हो सकता है। इस दौरान पूरा पुरी शहर अंधेरे में डूब जाता है, क्योंकि बिजली काट दी जाती है।
मूर्ति परिवर्तन के वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी से बनी होती है, जो समय के साथ खराब हो सकती है। प्राकृतिक रूप से लकड़ी की मूर्तियां नमी, कीड़े, या मौसम से प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए, मूर्ति की पवित्रता और अखंडता बनाए रखने के लिए हर 12 साल में इन्हें बदला जाता है। धार्मिक मान्यता है कि नई मूर्ति में भगवान का आलौकिक तेज़ और शक्ति बरकरार रहती है। यह परंपरा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भगवान का स्वरूप बदल सकता है, लेकिन उनकी दिव्यता कभी कम नहीं होती।
पुरी रथ यात्रा और मूर्ति का महत्व
पुरी रथ यात्रा (puri rath yatra) आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से आरंभ होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा के रथों को भव्य शोभायात्रा में निकाला जाता है। इस यात्रा में शामिल होने से मोक्ष (moksha) की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। जगन्नाथ की मूर्ति का नवकलेवर इस यात्रा को और भी खास बनाता है। नई मूर्तियों की स्थापना से भक्तों का उत्साह देखते बनता है। यह परंपरा पुरी जगन्नाथ मंदिर (puri jagannath temple) को विश्व भर में अनोखा बनाती है।
नवकलेवर की अनोखी परंपरा
भगवान जगन्नाथ की नवकलेवर परंपरा आस्था और रहस्य का अनोखा मेल है। 'लट्ठा' का रहस्य, मूर्ति बदलने की गोपनीय प्रक्रिया, और पूरे शहर का अंधेरे में डूब जाना, ये सब इस अनुष्ठान को और भी रोमांचक बनाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस प्रक्रिया में भगवान स्वयं मौजूद रहते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाती है। यदि आप पुरी रथ यात्रा में शामिल होने का विचार कर रहे हैं, तो नवकलेवर का यह चमत्कार अवश्य देखें!