भागलपुर का प्राचीन काली मंदिर: नशे में प्रवेश पर मिलती है सजा
भागलपुर का रहस्यमयी काली मंदिर
भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले के सरदोह गांव में एक प्राचीन काली मंदिर है, जो अपनी मान्यताओं और रहस्यमय घटनाओं के लिए जाना जाता है। यहां की प्रमुख मान्यता यह है कि यदि कोई व्यक्ति शराब या किसी अन्य नशे की हालत में मंदिर में प्रवेश करता है, तो उसे देवी के कोप का सामना करना पड़ता है, जिससे अनहोनी की संभावना बढ़ जाती है।
मंदिर के मुख्य द्वार पर एक चेतावनी लिखी हुई है: "शराब या नशे की हालत में मां काली के दरबार में प्रवेश पूरी तरह से निषिद्ध है।" स्थानीय लोगों का दृढ़ विश्वास है कि जो भी इस नियम का उल्लंघन करता है, वह रहस्यमय तरीके से बीमार पड़ जाता है, और इसका कारण डॉक्टर भी नहीं समझ पाते।
गांव के निवासी विनय झा का कहना है कि उन्होंने कई बार लोगों को इस चेतावनी को नजरअंदाज करने का खामियाजा भुगतते देखा है। कुछ लोग नशे में मंदिर पहुंचे और अचानक उन्हें चक्कर आने लगे, जबकि कुछ के नाक और कान से खून बहने लगा। जब उन्हें चिकित्सक के पास ले जाया गया, तो कोई स्पष्ट कारण नहीं मिला। लोगों का मानना है कि मां काली नशे में आने वालों को स्वयं दंडित करती हैं। यही कारण है कि यहां का माहौल हमेशा श्रद्धा और पवित्रता से भरा रहता है, और आसपास के गांवों के लोग इस नियम का उल्लंघन करने की हिम्मत नहीं करते।
इन दिनों मंदिर में उत्सव का माहौल है, क्योंकि 10 दिन बाद मां काली की वार्षिक पूजा का आयोजन होने वाला है। मंदिर और उसके आस-पास का क्षेत्र रोशनी से जगमगा उठा है, और कारीगर दिन-रात मंडप और तोरण द्वारों को सजाने में लगे हुए हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार में लगे शेखर सुमन बताते हैं कि मां की कृपा से यह मंदिर पहले से कहीं अधिक भव्य हो गया है। इस वर्ष पूजा में देश के विभिन्न राज्यों से कलाकार और पंडित शामिल होंगे, और भजन संध्या में भोजपुरी सिनेमा के प्रसिद्ध गायक छैला बिहारी भी अपनी प्रस्तुति देंगे।
जहां मंदिर में अनुशासनहीनता पर दंड का प्रावधान है, वहीं सच्ची भक्ति करने वालों पर मां की असीम कृपा भी बरसती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि एक महिला रोज मंदिर में सफाई करती थी और अपने जेल में बंद पति की रिहाई के लिए प्रार्थना करती थी। कुछ ही महीनों में उसका पति बिना किसी सिफारिश के रिहा हो गया। एक अन्य घटना में, एक बुजुर्ग ने अपनी बीमार पत्नी के स्वास्थ्य के लिए मन्नत मांगी और 11 दिन तक मां के चरणों में दीप जलाया, जिसके बाद उनकी पत्नी चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गईं।
यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि भक्ति और अनुशासन का एक जीवंत प्रतीक है, जो यह संदेश देता है कि देवी के दरबार में केवल निर्मल मन और सच्ची श्रद्धा ही स्वीकार होती है।