महर्षि वाल्मीकि जयंती: रामायण के रचयिता का संदेश
महर्षि वाल्मीकि जयंती, जो हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, रामायण के रचयिता के अद्वितीय संदेशों को फैलाने का अवसर है। इस वर्ष यह 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी। महर्षि वाल्मीकि का जीवन और उनके द्वारा रचित रामायण ने भारतीय संस्कृति को एकता के सूत्र में बांधने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। जानें उनके जीवन की प्रेरणादायक कहानी और रामायण के महत्व के बारे में।
Oct 7, 2025, 11:40 IST
महर्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व
हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है, जो रामायण के रचनाकार के अद्वितीय संदेशों को फैलाने का अवसर है। इस वर्ष, यह विशेष दिन 7 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि रामायण काल से ही महर्षि वाल्मीकि की जयंती का आयोजन होता आ रहा है। इस अवसर पर देशभर में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई रामायण को सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक माना जाता है, और उन्हें 'आदिकवि' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी रचना, जो मोक्षदायिनी मानी जाती है, आज भी विश्वभर में वेद के समान पूजनीय है। रामायण ने भारतीय संस्कृति को एकता के सूत्र में बांधने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
महर्षि वाल्मीकि का जीवन
रामायण को वैदिक साहित्य का पहला महाकाव्य माना जाता है, जिसमें कुल चौबीस हजार श्लोक हैं। कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने इस दुनिया में पहले श्लोक की रचना की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था, जो लूटपाट करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। एक बार नारद मुनि से मिलने के बाद, रत्नाकर ने अपने पापों के बारे में सोचा और नारद जी से मार्गदर्शन मांगा। नारद मुनि ने उन्हें 'राम' नाम का जाप करने की सलाह दी। रत्नाकर ने कठिन तपस्या की और अंततः महर्षि वाल्मीकि बन गए।
सीता और लव-कुश का संबंध
पौराणिक कथाओं में यह भी उल्लेख है कि जब भगवान श्रीराम ने माता सीता को त्याग दिया, तब माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में वनदेवी के रूप में निवास करती थीं और वहीं लव-कुश का जन्म हुआ। महर्षि वाल्मीकि ने उन्हें ज्ञान दिया और लव-कुश ने पहली बार भगवान श्रीराम को सम्पूर्ण रामकथा सुनाई। इस प्रकार, वाल्मीकि की रचना में लव-कुश के जन्म के बाद की घटनाओं का भी वर्णन मिलता है। महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें यह सिखाता है कि जीवन में नई शुरुआत के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सत्य और धर्म का पालन करना आवश्यक है।