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मां कात्यायनी की पूजा: शारदीय नवरात्र के छठे दिन का महत्व

शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त विधिपूर्वक मां की आराधना करते हैं। जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मां कात्यायनी से जुड़ी पौराणिक कथाएं। इस पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 

मां दुर्गा के छठे स्वरूप की आराधना


मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
आज शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है।


षष्ठी देवी का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार, षष्ठी देवी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री मानी जाती हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इन्हें छठ मैया के नाम से भी पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि मां कात्यायनी की आराधना से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।


शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में षष्ठी तिथि 27 सितंबर को दोपहर 12:06 बजे से शुरू होकर 28 सितंबर को दोपहर 2:28 बजे तक रहेगी। इस दिन भक्त विधिपूर्वक मां कात्यायनी की पूजा करेंगे।


राहु काल और दिशाशूल


  • राहु काल: सांय 4:30 से 6:00 बजे तक

  • दिशाशूल: नैऋत्य एवं पश्चिम


ऋषि कात्यायन से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था। इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली माना जाता है।


मंत्र का जाप

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम: का जाप करके आप मां दुर्गा के छठे स्वरूप का आह्वान कर सकते हैं।


पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। ईशान कोण में मां कात्यायनी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां का चित्र रखें। गंगा जल छिड़कें और पीले पुष्प अर्पित करें।


मां कात्यायनी को पीला रंग प्रिय है। धूप-दीप, फल-फूल, रोली-अक्षत, और पीली मिठाई से पूजा करें। अंत में मां की आरती करें और प्रसाद बांटें।


मां का छठा रूप

नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां का यह रूप सुनहरी आभा वाला है और चार भुजाएं हैं। एक हाथ वर मुद्रा में और दूसरा अभय मुद्रा में है।


भोग का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए।


शादी में बाधा के उपाय

मां कात्यायनी को संकटों से उबारने वाला माना जाता है। यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही हो, तो नवरात्र के छठे दिन खड़ी हल्दी और पीले फूल चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए।