मार्गशीर्ष अमावस्या पर तुलसी पूजा का महत्व और विधि
तुलसी माता की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण और दान का विशेष महत्व है, साथ ही तुलसी पूजा का भी महत्व है। तुलसी माता को हिंदू धर्म में पवित्र और घर की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और समृद्धि का वातावरण बनता है।
तुलसी पूजा की विधि और दीपक जलाना
मार्गशीर्ष अमावस्या पर तुलसी पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर घर की सफाई करना आवश्यक है। तुलसी के पौधे के चारों ओर हल्का पानी छिड़कें और उन्हें साफ वस्त्र से पोंछें। तुलसी के चरणों में लाल या पीले रंग का चंदन, सिंदूर और अक्षत चढ़ाएं। पूजा के दौरान तुलसी माता के सामने दीपक जलाना फलदायी माना जाता है।
दीपक जलाने का तरीका
- दीपक में घी या तेल डालें। यदि तेल का दीपक जलाएं तो सरसों या तिल का तेल श्रेष्ठ माना गया है।
- दीपक को तुलसी के पौधे के पास रखें और उसकी चारों दिशाओं में प्रकाश फैलने दें।
- इस समय ॐ तुलसीदेव्यै नम: या कोई अन्य तुलसी स्तोत्र का जप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजा और दान का महत्व
तुलसी पूजा के साथ दान करना भी अत्यंत शुभ है। गेहूं, चावल, गुड़, तिल या कपड़े का दान तुलसी माता को अर्पित किया जा सकता है। शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाना और उसकी आरती करना परिवार में सुख, शांति और सौभाग्य का संचार करता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर तुलसी पूजा और दीपक जलाने की परंपरा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक वृद्धि का माध्यम भी है। इस दिन श्रद्धा और विश्वास से की गई पूजा जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाती है।