मार्गशीर्ष अमावस्या पर माता काली की उपासना के लाभ
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और मानसिक शांति
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष, यह तिथि 19 नवंबर 2025 को सुबह 09:43 बजे शुरू होकर 20 नवंबर 2025 को दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी। इस दिन मां काली की उपासना करने से साधक को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
तमसिक ऊर्जा का संतुलन
अमावस्या की रात का वातावरण भारी और शांत होता है, जिससे तमसिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। मां काली की पूजा इस ऊर्जा को नियंत्रित कर सकारात्मक शक्ति में बदल देती है, जिससे साधक के जीवन में मानसिक स्थिरता आती है।
नकारात्मक प्रभावों से रक्षा
काली उपासना भूत-प्रेत बाधा, नजरदोष और मानसिक बेचैनी से सुरक्षा प्रदान करती है। इस रात साधना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
आत्मिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि
मां काली की साधना मन में छिपे डर और असुरक्षा को दूर करती है, जिससे साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह रात साधना-सिद्धि और आंतरिक शक्ति जागृत करने के लिए अनुकूल मानी जाती है।
कर्म-विघ्नों का निवारण
अमावस्या के दिन कर्म-बंधन हल्के पड़ते हैं। काली उपासना जीवन में रुकावटें कम करती है और मानसिक भ्रम को शांत करती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के उपाय
- शाम के समय सरसों के तेल का दीप जलाएं। इसे उत्तरपूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है।
- ॐ क्रीं कालीकायै नम: मंत्र का जप करें। 108 बार जाप करने से मानसिक भय कम होते हैं।
- काले तिल का हवन या अर्पण: अग्नि में काले तिल अर्पित करना अमावस्या की परंपरा है।
- प्रेतशांति के लिए दीपदान: अमावस्या पर एक दीप पितरों के नाम जलाएं।