मार्गशीर्ष अमावस्या: पितृ दोष से मुक्ति के लिए विशेष उपाय
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
भगवान कृष्ण, चंद्र देव और पितरों को समर्पित है अगहन अमावस्या
मार्गशीर्ष अमावस्या, जिसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन भगवान कृष्ण, चंद्र देव और पितरों को समर्पित है। इस दिन को पितृ दोष से मुक्ति और पितरों के आशीर्वाद के लिए बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या की रात को किए गए उपाय तुरंत फल देते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष अमावस्या की रात का महत्व
मार्गशीर्ष का महीना भगवान श्रीकृष्ण का महीना माना जाता है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसे वंश वृद्धि, धन हानि, विवाह में बाधा और संतान से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस रात, विशेषकर मार्गशीर्ष की अमावस्या, पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम मानी गई है। इसलिए इस दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
चमत्कारी उपाय जो रात में करें
- पीपल वृक्ष की पूजा और दीपक: अमावस्या की रात पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद, बिना पीछे मुड़े अपने घर वापस आ जाएं। पीपल के पेड़ को पितरों का निवास स्थान माना जाता है। इस उपाय से पितृ खुश होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- तर्पण और दान: यदि संभव हो तो अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। साथ ही रात के समय किसी गरीब या ब्राह्मण को काले तिल, अन्न, या वस्त्र का दान करें। पितरों के निमित्त किया गया दान पितृ दोष को शांत करने में मदद करता है।
- घर के मुख्य द्वार पर दीपक: मार्गशीर्ष अमावस्या की रात को घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आ पाती है और सुख-शांति बनी रहती है।
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ: रात के समय घर के मंदिर में बैठकर श्रीमद्भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें। यह पाठ पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला और उनकी आत्मा को शांति देने के लिए फलदायी माना जाता है।