मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव पूजा: चढ़ाने के लिए विशेष वस्तुएं
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त भगवान शिव को कुछ खास वस्तुएं अर्पित करते हैं, जो धन-धान्य में वृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। जानें कौन सी 7 चीजें शिवलिंग पर चढ़ाई जानी चाहिए और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
Dec 4, 2025, 05:14 IST
धन-धान्य में होगी अपार वृद्धि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा शिव पूजा: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन विशेष महत्व रखता है, और मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस माह को अपने स्वरूप के रूप में बताया है। इस दिन किए गए सभी अनुष्ठान का फल अत्यधिक होता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है।
कहा जाता है कि जो भक्त इस पावन दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें सुख और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाने से सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-धान्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं उन शुभ वस्तुओं के बारे में।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 7 चीजें
- कच्चा दूध: शिवलिंग पर गाय का शुद्ध कच्चा दूध अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है और आर्थिक रुकावटें दूर होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- दही: दही से अभिषेक करने पर जीवन में स्थिरता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- शहद: शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- बिल्व पत्र: भगवान शिव को बिल्व पत्र प्रिय है। धन-समृद्धि की कामना के लिए तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर उल्टा अर्पित करें।
- गन्ने का रस: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
- काले तिल: शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और रुके हुए धन की प्राप्ति होती है।
- अक्षत: शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
- सबसे पहले पवित्र स्नान करें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, फिर दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से बारी-बारी अभिषेक करें।
- शुद्ध जल अर्पित करें और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
- बिल्व पत्र, धतूरा, भांग और अन्य विशेष वस्तुएं अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा का पाठ करें, अंत में आरती करें।