×

मुहर्रम: इस्लामिक त्योहार की विशेषताएँ और अली असगर की भागीदारी

मुहर्रम इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे शिया और सुन्नी समुदाय अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। इस साल, अली असगर ने मुंबई में आयोजित जुलूस में भाग लिया, जहां उन्होंने इमाम हुसैन के बेटे की शहादत को श्रद्धांजलि दी। जानें इस त्योहार की विशेषताएँ और अली असगर की उपस्थिति के बारे में।
 

मुहर्रम का महत्व

मुहर्रम: इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए मुहर्रम एक महत्वपूर्ण अवसर है। शिया और सुन्नी समुदाय इसे भिन्न तरीकों से मनाते हैं। शिया लोग इस दिन मातम मनाते हैं और काले कपड़े पहनते हैं। इस दौरान मुस्लिम समुदाय जुलूस निकालते हैं और खुद को चोट पहुंचाते हैं। मुहर्रम की दसवीं तारीख को आशूरा कहा जाता है। इस वर्ष, 6 जुलाई को पूरे देश में मुहर्रम का आयोजन किया जाएगा। भारत में मुहर्रम-उल-हरम का पहला दिन 27 जून को था।


अली असगर की उपस्थिति

मुहर्रम में शामिल हुए अली असगर

इस साल मुहर्रम के पवित्र अवसर पर, मुंबई में आयोजित समारोहों में प्रसिद्ध अभिनेता अली असगर को देखा गया। अली असगर 'द कपिल शर्मा शो' में अपनी 'दादी' की भूमिका के लिए जाने जाते हैं। इस बार मुहर्रम के शोक दिवस पर वह मुंबई के एक जुलूस में शामिल हुए। मुंबई में कई स्थानों पर ताजिया जुलूस और मातम सभाएं आयोजित की गईं। इनमें से एक जुलूस में अली असगर ने हजरत अली असगर, इमाम हुसैन के छह महीने के बेटे, की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित की।


शिया और सुन्नी समुदाय में मुहर्रम

शिया और सुन्नी समुदाय में मुहर्रम

यह जानना महत्वपूर्ण है कि शिया समुदाय मुहर्रम में ताजिया और अलम उठाते हैं। कई स्थानों पर लोग अपने सीने पर हाथ मारकर मातम जुलूस निकालते हैं। कुछ लोग तो जंजीर से खुद को चोट भी पहुंचाते हैं। वहीं, सुन्नी मुसलमान आशूरा के दिन उपवास रखते हैं और इस दिन विशेष नमाज अदा करते हैं। इसके साथ ही, वे कुरआन की तिलावत भी करते हैं।