रथ यात्रा 2025: भगवान जगन्नाथ के साथ सुदर्शन चक्र की महिमा
रथ यात्रा का महत्व
रथ यात्रा 2025: ओडिशा के पुरी जिले में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा हर साल आषाढ़ के महीने में होती है। यह यात्रा भक्तों को दर्शन देने के लिए आयोजित की जाती है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक चौथा देवता भी है जो इस यात्रा का हिस्सा बनता है? आइए जानते हैं उनके बारे में।
चौथे देवता का परिचय
भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के साथ रथ यात्रा में सुदर्शन चक्र भी शामिल होता है। यह चक्र भगवान जगन्नाथ के साथ यात्रा करता है और रथ यात्रा के दौरान बहन सुभद्रा को सौंपा जाता है।
सुदर्शन चक्र का महत्व
सुदर्शन चक्र रथ यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसे सबसे पहले मंदिर से लाया जाता है, और इसे पारंपरिक गीतों और ढोल की थाप पर लाया जाता है। यह चक्र रथ पर सबसे पहले सवार होता है और देवी सुभद्रा के रथ पर सजाया जाता है।
सुदर्शन चक्र की पूजा
सुदर्शन चक्र को देवी सुभद्रा के रथ पर रखा जाता है, जिसे दर्पदलन कहा जाता है। यहां इसे एक स्वतंत्र दिव्य शक्ति के रूप में पूजा जाता है। देवी सुभद्रा भी एक दिव्य शक्ति हैं और योगमाया के रूप में जानी जाती हैं।
सुदर्शन चक्र का इतिहास
सृष्टि से जुड़ा महत्व: सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु द्वारा ब्रह्मा जी से प्राप्त किया गया था। इसे विश्वकर्मा ने बनाया था और यह अधर्म को समाप्त करने की शक्ति रखता है। भगवान जगन्नाथ भी विष्णु के स्वरूप हैं, इसलिए वे इस चक्र के साथ रहते हैं।
रथ यात्रा की तिथि
इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून को मनाई जाएगी। भगवान 9 दिनों तक मौसी के घर रहेंगे और फिर वापस आएंगे। इस वापसी यात्रा को बहुड़ा रथ यात्रा कहा जाता है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।