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रथ यात्रा 2025: सुनाबेश की रस्म और भगवान जगन्नाथ का भव्य श्रृंगार

पुरी में रथ यात्रा 2025 का उत्सव अपने चरम पर है, जिसमें बहुड़ा यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ श्रीमंदिर के बाहर पहुंच चुके हैं। सुनाबेश की रस्म में भगवान को भव्य सोने के आभूषण पहनाए जाएंगे, जो समृद्धि और विजय का प्रतीक हैं। यह परंपरा 15वीं शताब्दी से चली आ रही है। जानें इस रस्म का महत्व और भगवान के श्रृंगार के बारे में अधिक जानकारी।
 

रथ यात्रा का उत्सव और सुनाबेश की रस्म

रथ यात्रा 2025: पुरी में रथ यात्रा का महोत्सव समाप्ति की ओर है। कल, 5 जुलाई को बहुड़ा यात्रा का आयोजन हुआ, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के रथ श्रीमंदिर के बाहर पहुंच चुके हैं। इसके बाद देवी महालक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच भेंट की रस्म भी संपन्न हो चुकी है। इस भेंट के दौरान जगन्नाथ अपनी प्रिय अरधांगिनी को बिना बताए छोड़ देते हैं, जिससे उनके बीच मनमुटाव उत्पन्न होता है। इस कारण मां लक्ष्मी उन्हें मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं करने देती हैं, और तीनों भाई-बहन रथों में ही रहते हैं। आज भी कुछ महत्वपूर्ण रस्में आयोजित की जाएंगी, जिनमें सुनाबेश की रस्म प्रमुख है।


सुनाबेश की रस्म का महत्व

सुनाबेश के दिन, महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को भव्य रथों पर सजा कर दिव्य सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं। यह परंपरा 15वीं शताब्दी में गजपति राजा कपिलेंद्र देव द्वारा शुरू की गई थी, जब उन्होंने भगवान जगन्नाथ को दक्षिण भारत में विजय के बाद सोने के उपहार भेंट किए थे। ये आभूषण समृद्धि और विजय का प्रतीक माने जाते हैं। 6 जुलाई को दोपहर 2 बजे से इस रस्म की शुरुआत होगी और शाम 4 से 5 बजे के बीच भक्तों को सुनाबेश अवतार में दर्शन देने के लिए तैयार रहेंगे। जैसे-जैसे सूरज ढलता है, जगमगाते देवताओं की मूर्तियां ब्रह्मांड के भगवान के रूप में प्रकट होती हैं।


मूर्तियों के श्रृंगार के लिए आभूषण

देवी सुभद्रा: देवी सुभद्रा को किरीटा, ओधियानी, चंद्रसूर्य, काना, घगदमाली, कदंबमाली, सेबतिमाली और दो तगाडि़यों से सजाया जाएगा। ये आभूषण स्वर्ण और बहुमूल्य रत्नों से निर्मित हैं।



भगवान बलभद्र: भगवान बलभद्र का श्रृंगार श्रीपयार, श्रीभुजा, किरीटा, हाला, मुसाका, ओधियानी, कुंडला, चंद्रसूर्य, त्रिखंडिका, कामरा पति, अदाकानी, घागड़ा माली, कदंबमाली, बहड़ा माली, बाघनखा माली, सेबती माली, तिलक, चंद्रिका, अलका, झोबकंठी से होगा।


भगवान जगन्नाथ: महाप्रभु जगन्नाथ का श्रृंगार श्रीपयार, श्रीभुजा, किरीटा, सोने के चक्र, चांदी के शंख, ओधियानी, कमरपट्टी, अदाकानी, घागड़ा माली, कदंबमाली, त्रिखंडिका, झोबकंठी, बहड़ा माली, तबीजा माली, सेबती माली, तिलक, चंद्रिका, कुंडल, चंदसूर्य पहनाकर किया जाएगा।