रविवार को काल भैरव की पूजा: रोगों से मुक्ति के लिए विधि
भैरव पूजा का महत्व
भैरव पूजा, जो भगवान शिव के रुद्र रूप की आराधना है, नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी जाती है। यह पूजा विशेष रूप से रविवार के दिन की जाती है, जब भक्त सच्चे मन से भैरव की आराधना करते हैं। इस दिन भैरव मंदिर में दीप जलाकर, फूलों की माला अर्पित कर और कालभैरवाष्टक का पाठ करके भक्त भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
पूजा विधि
रविवार को स्नान के बाद पूजा की तैयारी करें। भैरव देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उनका पूजन करें। चंदन का तिलक लगाकर फूलों की माला अर्पित करें। भैरव बाबा को मीठी रोटी, हलवा या गुड़ का भोग लगाएं। कालभैरव अष्टकम या भैरव मंत्र का पाठ करें। भैरव महाराज से सुख-संपत्ति की प्रार्थना करें।
मंत्र का जप
इस मंत्र का ध्यानपूर्वक जप करें:
॥ऊं भ्रं काल भैरवाय फट॥
।। ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:
उपाय और साधना
काले कुत्ते को गुड़ या मीठी रोटी खिलाएं। शाम को भैरव मंदिर जाकर चौमुखी दीपक जलाएं। जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान करें।
भैरव पूजा का महत्व
भैरव पूजा से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और समस्याओं का समाधान होता है। भैरव बाबा की कृपा से भक्तों के कष्ट समाप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।