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रविवार को सूर्य देव की पूजा का महत्व और पौराणिक कथाएं

रविवार को सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है, जो न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे कई रोचक पौराणिक कथाएं भी हैं। इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति को आत्मबल, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। जानें कैसे करें सूर्य देव की पूजा और इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं।
 

सूर्य देव की पूजा का महत्व


जानें इसके पीछे की पौराणिक कथाएं और महत्व


हिंदू धर्म में सूर्य देव को एक प्रत्यक्ष देवता माना जाता है, जिनका दर्शन हम प्रतिदिन कर सकते हैं। सूर्य न केवल जीवन के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में भी इनका विशेष स्थान है। सप्ताह के हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है, लेकिन रविवार का दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा के लिए निर्धारित है।


सूर्य पूजा का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व

सप्ताह के सभी दिनों का संबंध नौ ग्रहों से है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रविवार का दिन सूर्य ग्रह से जुड़ा हुआ है।



  • ग्रहों के राजा: सूर्य को नवग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति के आत्मबल, आत्मविश्वास, सम्मान, स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता को प्रभावित करता है।

  • सूर्य को बल देना: कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होने पर व्यक्ति को मान-सम्मान, सफलता और आरोग्य प्राप्त होता है। रविवार को उनकी पूजा करने से कुंडली में कमजोर सूर्य को बल मिलता है।

  • सात दिनों के फल की प्राप्ति: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा नहीं कर पाता है, तो रविवार को सच्चे मन से उनकी उपासना करने पर उसे सभी दिनों की पूजा का फल मिलता है।


रविवार को सूर्य पूजा से जुड़ी पौराणिक कथाएं

एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि की शुरुआत हुई, तब ब्रह्मा जी के मुख से सबसे पहले ॐ शब्द निकला। यह ॐ सूर्य का तेजरूपी सूक्ष्म रूप माना जाता है। इसके बाद ब्रह्मा जी के चार मुखों से चार वेदों की उत्पत्ति हुई। इस वैदिक तेज को आदित्य (सूर्य) कहा गया।


सूर्य का प्राकट्य सृष्टि के आरंभ में हुआ, इसलिए उन्हें पहला और सबसे महत्वपूर्ण देवता माना गया। रविवार को पहले दिन के रूप में मानते हुए, यह दिन सूर्य देव को समर्पित हो गया।


रविवार व्रत और वृद्धा की कथा

रविवार व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब वृद्धा नियमित रूप से रविवार का व्रत रखती थी। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उसे एक गाय प्रदान की। उस गाय के गोबर से उसे सोना प्राप्त होता था।


वृद्धा की समृद्धि देखकर उसकी पड़ोसन ने ईर्ष्या की और राजा से उसकी गाय छीनने के लिए कहा। राजा ने गाय को अपने महल में लाने के बाद, वहां गंदगी फैल गई। तब सूर्य देव ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि यह गाय उस वृद्धा की है।


राजा ने अपनी भूल का पश्चाताप किया और गाय को लौटाने के साथ-साथ वृद्धा का सम्मान किया। इस कथा से यह मान्यता बनी कि रविवार का व्रत और पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है।


रविवार को सूर्य देव की पूजा कैसे करें?


  • अर्घ्य देना: सूर्योदय के समय स्नान करके, तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाकर ॐ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।

  • आदित्य हृदय स्तोत्र: इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है।

  • दान: इस दिन लाल वस्त्र, गुड़, गेहूं, तांबे के बर्तन आदि का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।