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रामराय तीर्थ पर गीता जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन

जींद के ऐतिहासिक गांव रामराय में गीता जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में भक्ति संगीत और लोक कला की प्रस्तुतियों ने माहौल को कृष्णमय बना दिया। मुख्यमंत्री मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक छाबड़ा ने इस आयोजन की सराहना की और गीता के महत्व पर प्रकाश डाला। जानें इस पावन अवसर की और भी खास बातें।
 

रामराय में गीता जयंती महोत्सव की धूम


  • अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की प्रेरणा: अशोक छाबड़ा


जींद। जींद क्षेत्र में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन बुधवार को ऐतिहासिक गांव रामराय के तीर्थ पर धूमधाम से किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद, भजन कीर्तन और लोक संगीत की धुनों से हुई। श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों ने बड़ी संख्या में इस पावन अवसर का हिस्सा बनने के लिए उपस्थित होकर अपनी आस्था व्यक्त की।


इस दौरान कलाकारों ने कृष्ण रास, कान्हा गुजरिया, मनमोहक भजन और हरियाणवी लोक रंग की प्रस्तुतियों से माहौल को भक्ति में रंग दिया। हर एक प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया, और तालियों और जयकारों से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया गया।


ग्रामीणों की भागीदारी की सराहना


मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक छाबड़ा ने कहा कि गीता जयंती जैसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान और परंपरा से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं। उन्होंने ग्रामीणों की भागीदारी और उत्साह की भी सराहना की। भगवान श्रीकृष्ण की गीता की जयंती के अवसर पर ब्रह्मसरोवर तट पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव ने सकारात्मकता, कर्मयोग और आत्मविश्वास का संदेश फैलाया।


अशोक छाबड़ा ने स्कूली बच्चों और श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि गीता केवल एक युद्ध ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला और आधुनिक युग की सबसे बड़ी थेरेपी है। यह वही पवित्र भूमि है जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को प्रेरित किया था। आज का विश्व तनाव और अवसाद से जूझ रहा है, और गीता ही एकमात्र सहारा है जो हमें डर के आगे जीतना सिखाती है।