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वरलक्ष्मी व्रत 2025: पूजा विधि और महत्व

वरलक्ष्मी व्रत हर साल सावन महीने में मनाया जाता है, जिसमें मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह विशेष रूप से दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण है। 2025 में यह व्रत 08 अगस्त को शुरू होगा और 09 अगस्त को समाप्त होगा। इस लेख में हम इस व्रत के महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
 

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

हर वर्ष सावन के महीने में वरलक्ष्मी व्रत का आयोजन किया जाता है। यह व्रत मां लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जिसमें आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी शामिल हैं। विशेष रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में इस व्रत का महत्व अधिक है। वरलक्ष्मी व्रत करने से जीवन में धन और समृद्धि की कमी नहीं होती। इस वर्ष, वरलक्ष्मी व्रत 08 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत का मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।


वरलक्ष्मी व्रत का मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 08 अगस्त 2025 को सूर्योदय के साथ वरलक्ष्मी व्रत की शुरुआत होगी। यह व्रत 09 अगस्त 2025 को समाप्त होगा।


पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके घर की सफाई करें। फिर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और व्रत का संकल्प लें। मां वरलक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद, पाटे पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्तियों को पूर्व दिशा में स्थापित करें। एक कलश में जल भरकर उसे तांदूल पर रखें और कलश के चारों ओर चंदन लगाएं। फिर विधिपूर्वक मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करें, भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।