विजयादशमी 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशेषताएँ और संदेश
विजयादशमी का महत्व
Dussehra 2025: विजयादशमी का पर्व भारत की सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का प्रतीक है। यह केवल अच्छाई की बुराई पर विजय का संदेश नहीं देता, बल्कि समाज में एकता, संगठन और अनुशासन के महत्व को भी उजागर करता है। इसी दिन, 1925 में, डॉ. हेडगेवार ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना की थी। हर साल विजयादशमी पर संघ का स्थापना दिवस मनाया जाता है, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्र और समाज को संबोधित करते हैं.
इस वर्ष भी मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव पर देशवासियों को संदेश देते हुए संगठन, आत्मनिर्भरता, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मविश्वास और अनुशासन के बल पर विश्व गुरु बनाने का संकल्प हर नागरिक को लेना चाहिए.
विजयादशमी के इस अवसर पर आइए जानते हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 10 खास बातें-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशेषताएँ
1. स्थापना और उद्देश्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना, राष्ट्रभावना को मजबूत करना और भारत को एक सशक्त, आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना था.
2. विजयादशमी से गहरा संबंध
संघ की नींव विजयादशमी के दिन रखी गई थी। इसलिए यह दिन संघ के लिए आध्यात्मिक और संगठनात्मक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर वर्ष इसी दिन संघ प्रमुख का वार्षिक संबोधन होता है.
3. शाखा व्यवस्था
संघ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी "शाखा" प्रणाली है। देशभर में लाखों स्वयंसेवक रोज़ाना मैदान में एकत्र होकर खेल, व्यायाम, गीत और देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। यह अनुशासन और एकजुटता का अनोखा मॉडल है.
4. राजनीति से परे संगठन
RSS सीधे राजनीति में भाग नहीं लेता। इसका मुख्य कार्य समाज का संगठन करना है। हालांकि, इसके विचारों से प्रभावित होकर भारतीय राजनीति में कई संगठनों और दलों का उदय हुआ, जैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा).
5. स्वयंसेवकों की भूमिका
संघ के स्वयंसेवक हर संकट की घड़ी में राष्ट्रसेवा के लिए आगे आते हैं। चाहे बाढ़ हो, भूकंप, महामारी या कोई अन्य आपदा, स्वयंसेवक राहत और पुनर्वास कार्यों में हमेशा सक्रिय रहते हैं.
6. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार
RSS भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्य प्रणाली को राष्ट्र निर्माण का आधार मानता है। इसका विश्वास है कि भारत की प्रगति तभी संभव है जब हम अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़े रहें.
7. शैक्षिक और सामाजिक संस्थान
संघ के सहयोग से देशभर में अनेक शैक्षिक, सामाजिक और सेवा संस्थान चलाए जाते हैं। वनवासी कल्याण आश्रम, विद्या भारती, सेवा भारती जैसे संगठनों के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम किया जा रहा है.
8. अनुशासन और राष्ट्रभक्ति
संघ की पहचान अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रभक्ति में है। स्वयंसेवकों का परिधान और उनका सामूहिक अभ्यास समाज को अनुशासन और संगठन की प्रेरणा देता है.
9. विस्तृत नेटवर्क
आज RSS का विस्तार न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी हो चुका है। प्रवासी भारतीय समाज में भी संघ के स्वयंसेवक भारतीय संस्कृति और विचारधारा को जीवंत बनाए रखने के लिए सक्रिय हैं.
10. समकालीन चुनौतियों पर दृष्टिकोण
संघ समय-समय पर सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत करता है। मोहन भागवत और अन्य नेतृत्व लगातार समाज को बदलते समय की चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूक करते हैं.
विजयादशमी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और संगठन की प्रेरणा का अवसर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले 100 वर्षों में राष्ट्रनिर्माण की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। मोहन भागवत का संदेश यही है कि हर भारतीय को अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए समाज सेवा और राष्ट्रहित के कार्यों में सक्रिय रहना चाहिए.
संघ की खासियत यही है कि यह नारे नहीं, बल्कि कार्य के माध्यम से अपने विचारों को सिद्ध करता है। विजयादशमी का यह पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि संगठित और अनुशासित समाज ही किसी भी राष्ट्र को सशक्त और आत्मनिर्भर बना सकता है.