×

वैकुंठ एकादशी 2025: महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

वैकुंठ एकादशी, जो सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, 30 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी। इसे 'मुक्कोटी एकादशी' भी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के धाम के द्वार भक्तों के लिए खुलते हैं। इस दिन व्रत रखने से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का सही समय।
 

वैकुंठ एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी का विशेष स्थान है, जिसमें वैकुंठ एकादशी सबसे प्रमुख मानी जाती है। इसे दक्षिण भारत में 'मुक्कोटी एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलने की मान्यता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के धाम 'वैकुंठ' के द्वार भक्तों के लिए खुलते हैं। जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत आत्म-शुद्धि का प्रतीक है। पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन देवी एकादशी ने राक्षस 'मुर' का वध किया था, जिससे भगवान विष्णु ने इस तिथि को विशेष वरदान दिया।


वैकुंठ एकादशी 2025 कब है?

वर्ष 2025 में वैकुंठ एकादशी का विशेष संयोग है। पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 30 दिसंबर 2025, मंगलवार को आएगी। यह एकादशी वर्ष की अंतिम एकादशी है, जिससे इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है। वैकुंठ एकादशी की तिथि 29 दिसंबर 2025 को रात 10:15 बजे से शुरू होगी और 30 दिसंबर 2025 को रात 09:40 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत और मुख्य पूजा 30 दिसंबर को की जाएगी।


वैकुंठ एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

वैकुंठ एकादशी पर पूजा का सबसे उत्तम समय 'ब्रह्म मुहूर्त' और सुबह का समय माना जाता है। 30 दिसंबर 2025 को सुबह 5:24 बजे से 7:13 बजे तक का समय सबसे श्रेष्ठ है। इस दौरान भगवान विष्णु का अभिषेक और मंत्र जाप करना फलदायी होता है।


व्रत पारण कब करना है?

एकादशी व्रत के साथ इसका पारण करना भी शुभ माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण 31 दिसंबर 2025 को सुबह 7:14 से 9:18 के बीच करना चाहिए। पारण के समय हरि वासर (द्वादशी की पहली चौथाई अवधि) समाप्त होना आवश्यक है, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।


वैकुंठ एकादशी का महत्व

इस शुभ तिथि पर व्रत रखने से साधक को शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलती है। मान्यता है कि यह व्रत पूर्व जन्मों और वर्तमान जीवन के पापों का क्षय करता है और अंतर्मन को निर्मल बनाता है। इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का नियमित जप करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार, वैकुंठ एकादशी का फल अन्य सभी 23 एकादशियों के बराबर माना जाता है। जो लोग पूरे साल व्रत नहीं रख पाते, वे केवल इस एक एकादशी का पालन करके अक्षय पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।