वैकुंठ चतुर्दशी: भगवान शिव और विष्णु की एकता का पर्व
वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व
नई दिल्ली: वैकुंठ चतुर्दशी एक विशेष दिन है जब भक्त भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा करते हैं। यह पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है और इसे भक्ति और शिवत्व का संगम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें बेलपत्र अर्पित करते हैं, जबकि भगवान शिव तुलसी का समर्पण करते हैं। इस प्रकार, यह दिन एकता, सौहार्द और मोक्ष का प्रतीक है।
वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व
यह पर्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु और संहारकर्ता शिव दोनों एक ही परम तत्व के रूप हैं। यह दिन भक्ति, ज्ञान और साधना का अद्भुत मेल है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने शिव की उपासना की थी ताकि उन्हें सृष्टि के कल्याण के लिए आवश्यक शक्ति प्राप्त हो सके। इसी प्रकार, भगवान शिव ने भी विष्णु की भक्ति कर यह दर्शाया कि देवत्व में कोई भेद नहीं है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष वैकुंठ चतुर्दशी का आरंभ दोपहर 2 बजे से होगा और इसका समापन रात 10:36 बजे होगा। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इन समयों के बीच पूजा-अर्चना अवश्य करें।
वैकुंठ चतुर्दशी की पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और उपवास का संकल्प लें। घर या मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान शिव और विष्णु का ध्यान करें।
सूर्योदय से पहले शिवलिंग का जल, दूध और बेलपत्र से अभिषेक करें और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें। दिनभर संयम और मौन का पालन करते हुए शाम को दीपदान करें।
रात्रि के निशीथ काल में भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, कमल पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें, तथा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें।
इस दिन विशेष रूप से विष्णु को बेलपत्र और शिव को तुलसी अर्पित करना शुभ माना गया है, जो सामान्य दिनों में वर्जित होता है। यह अनूठा आदान-प्रदान देवताओं के बीच एकता और प्रेम का प्रतीक है।
कौन से पुष्प करें अर्पित?
वैकुंठ चतुर्दशी पर पुष्प अर्पण का धार्मिक महत्व है। भगवान विष्णु को कमल पुष्प, तुलसी दल, पीले या सफेद फूल चढ़ाने से वैकुंठ की कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, कणेर और सफेद पुष्प अर्पित करने से मोक्ष और मनोवांछित फल मिलता है।
एकता और मोक्ष का संदेश
वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति किसी एक देवता तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह ईश्वर के सभी रूपों में समान रूप से विद्यमान है। इस दिन की आराधना से भक्त को न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। यह पर्व वास्तव में शिव-विष्णु एकता, प्रेम और सह-अस्तित्व का संदेश देता है।