शनि देव की कृपा पाने के लिए भारत के प्रमुख शनि मंदिर
शनि देव और उनकी महत्ता
नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में 12 भाव होते हैं, जिनमें नौ ग्रह स्थित होते हैं। इनमें से राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, जबकि शनि, सूर्य और मंगल को क्रूर ग्रह के रूप में देखा जाता है। शुभ ग्रहों में बुध, चंद्रमा, गुरु और शुक्र शामिल हैं। शनि को न्याय का देवता माना जाता है, और यह माना जाता है कि वह जातक के जीवन में संघर्ष लाते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति शनि के अनुसार चलता है और अपने चरित्र को सुधारता है, तो शनिदेव उसकी जिंदगी को सोने की तरह चमका सकते हैं।
शनि की साढ़े साती और महादशा
शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दौरान जातक को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। अंक ज्योतिष के अनुसार, शनि का अंक 8 है, और उसकी मित्र राशि बुध और शुक्र हैं। कुंडली के अनुसार, शनि देव का मकर और कुंभ राशि पर अधिकार है, जबकि तुला राशि में उनकी उच्चता है। धनु और वृषभ राशि के जातकों पर भी शनि की कृपा होती है।
ग्रहों का गमन चक्र
कुंडली में सूर्य और चंद्रमा मार्गी होते हैं, जबकि राहु और केतु हमेशा वक्री गमन करते हैं। अन्य ग्रह जैसे शनि, मंगल, बुध, गुरु और शुक्र समय के साथ मार्गी और वक्री दोनों स्थितियों में गमन करते हैं।
शनि देव का भय और उनकी भूमिका
लोगों के मन में शनि देव के प्रति एक भय बना रहता है, लेकिन यह सोचना गलत है। शनि जातक को संघर्ष देते हैं, लेकिन साथ ही उन्हें निखारते भी हैं। शनि देव सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। उनके बड़े भाई यम मृत्यु के देवता हैं, जो व्यक्ति के कर्मों का फल देते हैं।
शनि मंदिरों का महत्व
यदि कोई जातक शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा से गुजर रहा है, तो उसे भारत के कुछ प्रमुख शनि मंदिरों में दर्शन करना चाहिए। शनि देव की कृपा पाने के लिए महादेव और हनुमान जी की पूजा भी लाभकारी मानी जाती है।
शनि की अशुभ दृष्टि से आर्थिक समस्याएं, नौकरी में संकट, मान-सम्मान में गिरावट और पारिवारिक कलह बढ़ सकती है।
भारत के प्रसिद्ध शनि मंदिर
भारत में शनि शिंगणापुर मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है, जिसे शनि देव का जन्म स्थान माना जाता है। यहां शनि देव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची है।
दिल्ली में शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी में स्थित है, जहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति है।
जूनी इंदौर में एक प्राचीन शनि मंदिर है, जहां शनि देव का श्रृंगार सिंदूर से किया जाता है।
ग्वालियर के नजदीक एंती गांव में शनिचरा मंदिर है, जो त्रेतायुगीन है।
प्रतापगढ़ में शनि धाम प्रसिद्ध है, जहां भक्तों को शनि की कृपा मिलती है।
कोसीकलां में शनिदेव का मंदिर है, जहां परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
उज्जैन में सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर है, जो नवग्रह मंदिर भी कहलाता है।
तमिलनाडु के तिरुनल्लर में स्थित शनि देव का मंदिर भारत में सबसे पवित्र माना जाता है।
तेलंगाना के यरदनूर में 20 फीट ऊंची शनि देव की प्रतिमा है।
कर्नाटक के उडुपी में भी भगवान शनि का प्रसिद्ध मंदिर है।
गुजरात के भावनगर में सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान मंदिर है, जहां शनि देव की मूर्ति भी है।
शनि देव की पूजा विधि
शनि देव को काला तिल, तेल, काला वस्त्र और काली उड़द प्रिय हैं। शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनि स्त्रोत का पाठ, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से भी शनि के कष्टों से मुक्ति मिलती है।