शारदीय नवरात्रि 2025: देवी कुष्मांडा की पूजा का महत्व और उपाय
शारदीय नवरात्रि में देवी कुष्मांडा की पूजा
शारदीय नवरात्रि 2025: नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की आराधना से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, यह पूजा जीवन से सभी प्रकार के रोग, कष्ट और दुखों को समाप्त करने में सहायक होती है। भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी कुष्मांडा साधकों को अभय और इच्छित वरदान देती हैं।
मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है, और उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। उनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है।
मुख्य मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः।
स्तुति मंत्र: देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कुष्मांडा बीज मंत्र: ऐं ह्रीं देव्यै नम:
पूजा मंत्र: ॐ कुष्माण्डायै नम:
मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है।
उपाय
पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां रखें और इसे देवी को चढ़ाएं। इससे धन की प्राप्ति होगी।
गुलाब के फूल में कपूर का टुकड़ा रखें। शाम को उस फूल में कपूर जलाएं और देवी को अर्पित करें। इससे अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है।
इमली की डाल काटकर घर में रखें या धन रखने की जगह पर रखें, इससे धन में वृद्धि होगी।