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शारदीय नवरात्रि 2025: मां कात्यायनी की उपासना का महत्व

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना के लिए समर्पित है। मां कात्यायनी को शक्ति का तेजस्वी रूप माना जाता है, जो बुराइयों का नाश करती हैं। इस दिन विशेष पूजा विधि और भोग का महत्व है। जानें कैसे मां कात्यायनी का आशीर्वाद भक्तों को साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
 

मां कात्यायनी का दिन

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप, मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। इन्हें शक्ति का तेजस्वी और उग्र रूप माना जाता है, जो बुराइयों का नाश करती हैं और भक्तों को साहस एवं आत्मविश्वास प्रदान करती हैं। पुराणों के अनुसार, ब्रज की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। इसलिए इन्हें 'अमोघ फलदायिनी' कहा जाता है।


मां कात्यायनी का जन्म

कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिससे उन्हें कात्यायनी देवी कहा जाता है। मां का स्वरूप अद्भुत और दिव्य है—चार हाथ, जिनमें कमल, तलवार, वरद मुद्रा और अभय मुद्रा होती है। उनका वाहन सिंह साहस का प्रतीक है, जबकि उनका स्वर्णिम आभामय रूप शक्ति और ममता का संदेश देता है।


पूजन विधि

मां कात्यायनी का पूजन विधि

इस दिन लाल या सुनहरे वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां की मूर्ति या तस्वीर को लाल फूलों, विशेषकर गुलाब से सजाना चाहिए। भोग में शहद और मिठाई चढ़ाने का महत्व है। पूजन के समय दीपक जलाकर 'ॐ देवी कात्यायन्यै नमः' मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होती हैं.


मां कात्यायनी का महत्व

मां कात्यायनी का महत्व

मां कात्यायनी बुराइयों का नाश कर धर्म की स्थापना करती हैं। भक्तों को उनका आशीर्वाद आत्मविश्वास, साहस और निर्भयता प्रदान करता है। नवरात्रि के इस दिन मां की साधना करने से जीवन में नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.


सीख

मां कात्यायनी से सीख

मां हमें यह शिक्षा देती हैं कि अन्याय और बुराई के खिलाफ खड़ा होना ही सच्चा धर्म है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के भीतर से डर मिट जाता है और आत्मबल बढ़ता है। यही कारण है कि मां कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से साहस और सफलता के लिए की जाती है.


महिषासुर वध

मां कात्यायनी और महिषासुर वध

पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर ने त्रिलोक में उत्पात मचाया, तब देवी कात्यायनी ने उसका वध कर ब्रह्मांड को भयमुक्त किया। इसी कारण उन्हें 'महिषासुर मर्दिनी' कहा जाता है। यह कथा दर्शाती है कि सत्य और धर्म की विजय हमेशा होती है.