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शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की आरती का महत्व

शारदीय नवरात्र का पहला दिन मां दुर्गा की आरती के साथ शुरू होता है। इस पर्व में देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिससे भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। मां शैलपुत्री को समर्पित इस दिन कलश स्थापना के बाद आरती का आयोजन किया जाता है। जानें मां दुर्गा की आरती और इसके महत्व के बारे में।
 

मां दुर्गा की कृपा से मिलेगी पूजा का फल


शारदीय नवरात्र का पहला दिन आज से शुरू हो गया है। यह पर्व 9 दिनों तक मनाया जाएगा, जिसमें देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान देवी की आराधना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का पहला स्वरूप मानी जाती हैं। इस दिन कलश स्थापना के बाद मां की आरती का आयोजन किया जाता है, जिससे पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।


मां दुर्गा की आरती


  • जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दु:खहारी।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
    भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

  • जय अम्बे गौरी,…।

  • अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

  • जय अम्बे गौरी,…।


मां शैलपुत्री आरती


  • शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

  • शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी

  • पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

  • ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

  • सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

  • उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

  • घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

  • श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

  • जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

  • मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।


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