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शिवरात्रि: भगवान शिव का महापर्व और विशेष तैयारियाँ

शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से जलाभिषेक करते हैं और मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है। जींद में शिवालयों की तैयारियाँ जोरों पर हैं, जहाँ भक्तगण हरिद्वार से गंगा जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करेंगे। जानें इस पर्व पर जलाभिषेक का मुहूर्त और जयंती देवी मंदिर में होने वाले विशेष आयोजनों के बारे में।
 

शिवरात्रि का पर्व


शिवरात्रि का पर्व मनाने के लिए जिले भर के शिव मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं, जिससे वातावरण पूरी तरह से शिवमय हो गया है। बुधवार की सुबह से ही 'बम भोले' के जयकारे गूंजने लगेंगे और यह उत्सव पूरे दिन चलेगा।


श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध

स्थानीय मंदिरों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े, इसके लिए विशेष उपाय किए गए हैं। इस दौरान भक्तगण हरिद्वार से गंगा जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करेंगे। जींद शहर के प्राचीन भूतेश्वर मंदिर और रानी तालाब स्थित शिव मंदिर में भी श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे। मंगलवार को पूरे दिन डाक कावड़ का सिलसिला जारी रहा, और प्रमुख चौराहों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी ताकि कावड़ियों को सुगम रास्ता मिल सके।


जलाभिषेक का मुहूर्त

सावन शिवरात्रि पर भद्रा का समय प्रात: 5:37 से 3:31 बजे तक रहेगा। श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव का जलाभिषेक कर सकेंगे, जो प्रात: 4:15 से 4:56 बजे तक है। इस बार सावन शिवरात्रि पर कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जैसे सर्वार्थ सिद्धि और गजकेसरी। शिवरात्रि के दिन शिव स्तुति, शिव मंत्र, शिव सहस्रनाम, शिव चालीसा, शिव तांडव, रुद्राष्टक, शिव पुराण और शिव आरती का गाना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।


जयंती देवी मंदिर में विशेष आयोजन

महाभारत कालीन जयंती देवी मंदिर में भगवान शिव का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए सामकिये की खीर बनाई जाएगी। मंदिर के पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने बताया कि यहाँ दो क्विंटल खीर का प्रबंध किया जाएगा। मंदिर में चार प्रहर की पूजा की जाएगी और सावन माह के दौरान प्रतिदिन रुद्राभिषेक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।


रुद्राभिषेक कार्यक्रम

जयंती देवी मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्व पत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से सभी समस्याएँ दूर होती हैं और मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं। इस बार भी शिवरात्रि पर्व विशेष फलदायी है। मंदिर परिसर में महारूद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भगवान शिव का दूध, दही, शहद और जल से अभिषेक किया जाएगा।