शुक्र प्रदोष व्रत: शिव और लक्ष्मी की कृपा पाने का सही समय और विधि
शुक्र प्रदोष व्रत: शिव और लक्ष्मी की कृपा पाने का सही समय और विधि
शुक्र प्रदोष व्रत: इन 6 घंटों में करें पूजा, मिलेगा शिव और लक्ष्मी का आशीर्वाद! हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है।
जब यह व्रत शुक्रवार को आता है, तब इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और सुख-शांति को बढ़ाने के लिए विशेष माना जाता है। इसके साथ ही, यह ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद करता है और मां लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। सितंबर 2025 में शुक्र प्रदोष व्रत की तिथि को लेकर कई लोग भ्रमित हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।
शुक्र प्रदोष व्रत की तिथि
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 सितंबर 2025 को सुबह 4:08 बजे से शुरू होगी और 6 सितंबर को सुबह 3:12 बजे समाप्त होगी। चूंकि यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए 5 सितंबर 2025 को शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा 5 सितंबर को शाम 6:38 बजे से रात 8:55 बजे के बीच की जाएगी। इस समय में पूजा करने से भगवान शिव और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पूजा की विधि
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा आरंभ करने से पहले शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। रात में शिव मंदिर में दीपक जलाना धन प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। धन की कमी दूर करने के लिए शिवलिंग पर अक्षत, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर चढ़ाएं।
बेलपत्र, धतूरा, सुगंधित तेल, लौंग का जोड़ा, सफेद चंदन या अरहर दाल चढ़ाने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस दिन शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जप करें। भगवान शिव को खीर, दही या सूजी के हलवे का भोग लगाएं और घी का दीपक जलाकर उनकी आरती करें।