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शुक्रवार को महालक्ष्मी मंत्र का जाप: समृद्धि और सौभाग्य का मार्ग

मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि शुक्रवार को महालक्ष्मी मंत्र का जाप करने का महत्व है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा की स्थिति विशेष होती है, जो व्रत रखने वालों के लिए लाभकारी है। पूजा विधि में स्नान, स्वच्छ वस्त्र पहनना, माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करना और विशेष मंत्रों का जाप शामिल है। इस दिन गरीबों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके लाभ।
 

मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष का महत्व

नई दिल्ली: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि शुक्रवार को है। इस दिन सूर्य वृषभ राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में स्थित रहेंगे। हालांकि इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के अनुसार शुक्रवार का व्रत रखा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे संबंधित दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।


अभिजीत मुहूर्त और राहुकाल

द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:26 बजे तक रहेगा। वहीं, राहुकाल का समय सुबह 10:43 बजे से लेकर दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत का उल्लेख है, जिसमें माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह की पूजा विधि-विधान से करने का महत्व बताया गया है। इससे सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है।


व्रत की विधि और पूजा

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। यदि कोई जातक व्रत शुरू करना चाहता है, तो वह किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से आरंभ कर सकता है। आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है।


पूजा की तैयारी

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। महालक्ष्मी मंत्र ‘ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ का जाप करें। यह जाप समृद्धि और सौभाग्य के लिए किया जाता है। ‘विष्णुप्रियाय नमः’ का जप भी लाभकारी है।


पूजा के अंत में

पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें और लक्ष्मी चालीसा पढ़ें। प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।