श्रावण माह का शुक्ल पक्ष: शुक्रवार व्रत का महत्व और विधि
श्रावण माह का शुक्ल पक्ष
नई दिल्ली: श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों कर्क राशि में स्थित रहेंगे। यह दिन संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
अभिजीत मुहूर्त और राहुकाल
दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12:55 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 10:45 से 12:28 बजे तक होगा।
शुक्रवार व्रत का महत्व
यह व्रत मुख्य रूप से संतोषी माता और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। इसे करने से सुख, समृद्धि, धन और वैवाहिक जीवन में शांति प्राप्त होती है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। इसके अलावा, यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है। इसे किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से आरंभ किया जा सकता है और आमतौर पर इसे 16 शुक्रवार तक रखा जाता है, जिसके बाद उद्यापन किया जाता है।
पूजा की विधि
इस दिन पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें और माता की प्रतिमा स्थापित करें। श्री यंत्र की स्थापना भी शुभ मानी जाती है। माता संतोषी या देवी लक्ष्मी को सिंदूर, अक्षत, फूल और माला चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। माता को फलों का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत कथा, चालीसा और मंत्रों का पाठ करें और आरती करें। पूजा के बाद पूरे घर में जल का छिड़काव करें और मां तुलसी को जल चढ़ाएं।
व्रत के दौरान आहार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी के व्रत में नमक और माता संतोषी के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। दिन में एक बार मीठे के साथ किसी एक अनाज का सेवन किया जा सकता है, जैसे खीर-पूरी। व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।