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संगीत: भावनाओं की अनकही भाषा

संगीत केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि यह भावनाओं की अनकही भाषा है। स्वामी संत दास स्कूल की शिक्षिका रूपा विज ने बताया कि हर साल 21 जून को विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है, जो संगीत की शक्ति को पहचानने का अवसर है। संगीत जीवन में संतुलन और सुकून लाता है, और इसके बिना जीवन अधूरा है। जानें संगीत का महत्व और इसके विभिन्न रूपों के बारे में इस लेख में।
 

संगीत का महत्व और विश्व संगीत दिवस

जालंधर/न्यूज मीडिया- तानपूरे की मधुर धुनों में सृष्टि की गूंज सुनाई देती है, और हर राग में जीवन का गूढ़ अर्थ छिपा है। यह विचार स्वामी संत दास स्कूल की संगीत शिक्षिका रूपा विज का है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष 21 जून को विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है, जो हमारे देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। शास्त्रीय संगीत, जो सभी सुरों का स्रोत है, इसकी शुरुआत मानी जाती है।


प्रभु मिलन से लेकर जीवन की हर खुशी और गम, संगीत में समाहित है। हर व्यक्ति की जिंदगी में ऐसे क्षण आते हैं जब शब्द कम पड़ जाते हैं और संगीत अपनी बात कहता है। संगीत केवल एक ध्वनि नहीं है, बल्कि यह एक अध्याय है जो दिल से निकलकर आत्मा तक पहुंचता है। यह आत्मा की पोषण करता है। इसलिए, हर साल 21 जून को विश्व स्तर पर संगीत दिवस मनाने का उद्देश्य संगीत की शक्ति को पहचानना और उसे साझा करना है। हर किसी की जिंदगी में संगीत किसी न किसी रूप में मौजूद होता है, चाहे वह मां की लोरी हो, स्कूल का राष्ट्रगान हो या कोई फिल्मी गीत। संगीत जीवन को सुंदरता, संतुलन और शांति प्रदान करता है।


संगीत का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। वेदों में सामवेद को संगीत का मूल स्रोत माना जाता है। आजकल, लोक संगीत, भक्ति संगीत, फिल्मी संगीत और आधुनिक पाश्चात्य संगीत ने भी लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। वास्तव में, संगीत के बिना जीवन अधूरा है।