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संध्या पूजा के नियम: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के सरल उपाय

हिंदू धर्म में संध्या का समय विशेष महत्व रखता है। इस समय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ सरल नियमों का पालन किया जाता है। जानें कैसे घर के मंदिर में पूजा, तुलसी के पास दीपक जलाना और रसोई में दीया जलाना आपके जीवन में सुख और समृद्धि ला सकता है। ये अनुष्ठान न केवल धार्मिक हैं, बल्कि मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी हैं।
 

संध्या पूजा का महत्व

Puja Path Niyam: हिंदू धर्म में सूर्यास्त का समय विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। यह वह क्षण है जब दिन और रात का मिलन होता है, और देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। खासकर मां लक्ष्मी के लिए इस समय दीप जलाना और पूजा करना अत्यंत प्रिय है। इसे सांझ-बाती या संध्या पूजन भी कहा जाता है। मान्यता है कि यदि इस समय कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाए, तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। आइए जानते हैं पूजा-पाठ के ये नियम क्या हैं?


घर के मंदिर में संध्या पूजा करें

हर शाम घर के मंदिर में कम से कम 10 मिनट की पूजा अवश्य करें। दीप जलाकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें, शंख या घंटी बजाएं और 'श्री लक्ष्मी स्तोत्र' या 'श्री सूक्त' का पाठ करें। इससे घर का वातावरण दिव्यता से भर जाता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


तुलसी के पास दीपक जलाएं

शाम होते ही तुलसी के पौधे के पास देसी घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, और तुलसी के पास दीपक जलाना सौभाग्य और पुण्य बढ़ाने वाला माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। दीपक के साथ 'ॐ तुलस्यै नमः' मंत्र का जाप करें।


रसोई में दीया और सुगंधि जरूर जलाएं

शाम को रसोईघर की सफाई के बाद एक छोटा दीपक वहां भी जलाएं। साथ ही कपूर, लोबान या प्राकृतिक धूप का प्रयोग करें। इससे न केवल वातावरण पवित्र होता है, बल्कि देवी अन्नपूर्णा की कृपा भी बनी रहती है। रसोई में दीपक जलाने से यह संकेत मिलता है कि घर में अन्न का सम्मान होता है, जिससे लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।


संध्या पूजा का महत्व

संध्या पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह दिनभर की थकान को शांत कर आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने का एक साधन है। यह नियम प्रायः हर हिंदू घर में पालन किए जाते हैं। यदि आप भी नियमित रूप से इन तीन कार्यों को शाम के समय करते हैं, तो आपके जीवन में स्थायी सुख, शांति और समृद्धि बनी रहेगी। यह न केवल धार्मिक रूप से लाभदायक है, बल्कि मानसिक और पारिवारिक शांति के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।