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सत्यनारायण व्रत: जानें इसके नियम और विधि

सत्यनारायण व्रत का पालन करने से साधक को अनेक लाभ मिलते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि इस व्रत को कैसे और कब करना चाहिए, इसके नियम क्या हैं, और पूजा की विधि क्या है। सत्यनारायण व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ें।
 

सत्यनारायण व्रत का महत्व


सत्यनारायण व्रत का महत्व
सत्यनारायण की पूजा का अर्थ है सत्य का सम्मान करना। इस व्रत का पालन करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए, जानते हैं इस व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम, जिनका पालन करके आप इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं।


सत्यनारायण व्रत के नियम

सत्यनारायण व्रत किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा के दिन इसे करना विशेष फलदायी माना जाता है। यदि सुबह पूजा करना संभव न हो, तो शाम को भी इसे किया जा सकता है। व्रति को पूरे दिन उपवास रखना होता है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।


सत्यनारायण व्रत की विधि

सुबह जल्दी उठकर ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें। एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर स्थापित करें। साथ में एक कलश और नारियल रखें। पंडित को बुलाकर या स्वयं सत्यनारायण कथा सुनें।


कथा में आस-पास के लोगों को शामिल करें। भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी आदि अर्पित करें। कथा के बाद आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।


सत्यनारायण व्रत के लाभ

सत्यनारायण व्रत करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत सभी प्रकार के दुखों को दूर करने और धन-धान्य में वृद्धि करने वाला माना जाता है। इसके अलावा, यह संतानहीन व्यक्तियों को संतान सुख की प्राप्ति में भी सहायक होता है।