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सर्वपितृ अमावस्या 2025: तिथि और श्राद्ध के नियम

पितृपक्ष का महीना 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण है। जानें 2025 में सर्वपितृ अमावस्या की तिथि, श्राद्ध विधि और इस दिन के विशेष योग के बारे में।
 

पितृपक्ष का महत्व

7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जो 21 सितंबर तक चलेगा। हिंदू धर्म में यह महीना विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृ पक्ष का अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या होता है, जिसे महालय और सर्व मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और तर्पण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि

कब है सर्वपितृ अमावस्या 2025?
पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 सितंबर को रात 12:17 बजे शुरू होगी और 21 सितंबर को रात 1:24 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। इस बार इस दिन शुभ योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।


सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध

किसका श्राद्ध किया जाता है?
महालय अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। यदि आप किसी पितर का श्राद्ध करना भूल गए हैं या पुण्यतिथि याद नहीं है, तो इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।


श्राद्ध करने के नियम

अमावस्या तिथि पर श्राद्ध के नियम
- स्नान के बाद किसी पवित्र नदी या साफ स्थान पर आसन लगाएं।
- हाथ में थोड़ा चावल लेकर सभी पितरों को याद करते हुए श्राद्ध का संकल्प लें।
- जल में अक्षत डालकर देवताओं को अर्पित करें, फिर पितरों के नाम का तर्पण करें।
- तर्पण के लिए काले तिल और सफेद फूल लेकर जल डालें।
- तर्जनी और अंगूठे के बीच कुशा लेकर अंजलि बनाएं।
- अंजलि में जल लेकर उसे खाली पात्र में अर्पित करें, इस दौरान ओम पितृभ्य नम: का जप करें।
- तर्पण का जल किसी पेड़ में अर्पित करें और फिर घर में ब्राह्मण को भोजन कराएं।