सर्वपितृ अमावस्या पर तुलसी पूजा के नियम और उपाय
तुलसी पूजा के नियमों का महत्व
अच्छे परिणाम पाने के लिए नियमों का पालन करें
आज पितृ पक्ष का समापन हो रहा है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का योग बन रहा है, जो भारत में नहीं दिखाई देगा। यह तिथि पितरों के पितृलोक लौटने का समय है। आइए जानते हैं कि इस दिन तुलसी की पूजा की जा सकती है या नहीं। यदि आप कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं, तो आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
तुलसी पूजा का शुभ और अशुभ पहलू
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का प्रभाव रहेगा। इस दिन तुलसी की पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना या तुलसी को छूना भी नहीं चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
धन संबंधी समस्याओं का समाधान
यदि आप धन से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन एक पीले धागे या लाल कलावे में 108 गांठें लगाकर उसे तुलसी के गमले में बांध सकते हैं।
घी का दीपक जलाकर परिक्रमा
सर्वपितृ अमावस्या की शाम को तुलसी के पास एक घी का दीपक जलाकर 7 बार परिक्रमा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी माता के मंत्र
इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ और तुलसी माता के मंत्रों का जप करने से लाभ होता है। इससे साधक को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
- महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री मंत्र
- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात।।
तुलसी स्तुति मंत्र
- देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै:
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। - तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। - लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।। - तुलसी नामाष्टक मंत्र
- वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।। - एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।