×

सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 2025: तिथि और महत्व

सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 2025 का आयोजन 6 अगस्त को होगा। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है, जिससे सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ताकि आपकी पूजा सफल हो सके।
 

सावन का अंतिम प्रदोष व्रत


सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।


कब है सावन का अंतिम प्रदोष व्रत?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त 2025 को दोपहर 02:08 बजे से आरंभ होगी और 7 अगस्त 2025 को दोपहर 02:24 बजे तक रहेगी। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जो बुधवार को पड़ता है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा।


प्रदोष व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए

इस दिन किसी से झगड़ा न करें। मन और वाणी को शांत और संयमित रखें। पूजा करते समय किसी के प्रति बुरा विचार न रखें, क्योंकि नकारात्मक सोच पूजा के फल को कम कर सकती है।


केतकी के फूल और हल्दी का प्रयोग न करें, क्योंकि ये शिव पूजा में वर्जित माने जाते हैं। टूटे हुए चावल शिवलिंग पर न अर्पित करें, क्योंकि खंडित अनाज अशुद्ध माना जाता है। तुलसी के पत्ते भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं, क्योंकि शिव पूजा में तुलसी वर्जित है। चंदन का प्रयोग भी न करें, क्योंकि यह शिव के रौद्र रूप को शांत नहीं करता।


काले रंग के वस्त्र न पहनें, क्योंकि यह तामसिक प्रकृति का होता है। गुस्सा और झूठ बोलने से बचें। यह दिन संयम और सच्चाई का पालन करने का होता है। महिलाओं का अपमान न करें, क्योंकि मां पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए उनका सम्मान करना आवश्यक है।


प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से बचें। सात्विक आहार ग्रहण करना उचित होता है।


प्रदोष व्रत के दिन क्या करें

प्रातःकाल स्नान कर भगवान शिव का ध्यान करें। शुद्ध होकर दिन की शुरुआत करें। घर और पूजा स्थल की सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव कर घर को शुद्ध करें। उत्तर-पूर्व दिशा में शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें, जो पूजा के लिए शुभ मानी जाती है।


शिवजी को बेलपत्र, चंदन, धतूरा, भांग और गाय का कच्चा दूध अर्पित करें, क्योंकि ये भगवान शिव को प्रिय हैं। शिवलिंग का अभिषेक करें और विधि-विधान से पूजा करें, जिससे पापों का क्षय होता है। शिव चालीसा और मंत्रों का जाप करें। “ॐ नमः शिवाय” का जाप विशेष लाभकारी होता है।


जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।