सावन का अंतिम सोमवार: विशेष पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
सावन का अंतिम सोमवार और विशेष योग
नई दिल्ली: देवाधिदेव महादेव के प्रिय सावन महीने का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को आ रहा है। इस दिन ब्रह्मा और इंद्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इन विशेष योगों में महादेव की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय सुबह 5:44 बजे और सूर्यास्त शाम 7:10 बजे होगा।
ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण संयोग
इस बार का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भक्तों के लिए महादेव की कृपा प्राप्त करने का यह एक विशेष अवसर है।
पूजा का सर्वोत्तम समय
पंचांग के अनुसार, 4 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक रहेगा, जो जलाभिषेक के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 2:42 से 3:36 बजे तक और अमृत काल शाम 5:47 से 7:34 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:44 से रात 9:12 बजे तक रहेगा, जो कार्य सिद्धि और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
पूजा विधि और सामग्री
सावन के अंतिम सोमवार पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर हरे या सफेद वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग की स्थापना करें। पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद भोलेनाथ को इत्र लगाएं। 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, अक्षत, काला तिल, जौ, गेहूं, मिश्री या गुड़, अबीर-बुक्का के बाद फल और मिठाई अर्पित करें। रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है। महादेव के आराध्य श्रीरामचंद्र का 108 या उससे अधिक बेलपत्र पर 'नाम' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भी महादेव प्रसन्न होते हैं। पूजा के बाद शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, शिवपंचाक्षर मंत्र, द्वादश ज्योतिर्लिंगानी स्त्रोत का पाठ करना भी विशेष फलदायी होता है। इसके बाद आरती करनी चाहिए।
मान्यता और महत्व
मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा और व्रत से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, ग्रह दोष शांत होते हैं, और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह दिन विवाह, करियर, और सुख-समृद्धि की कामना के लिए विशेष प्रभावी है।