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सावन में कांवड़ यात्रा: महराजगंज के पंचमुखी इटहिया शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़

सावन मास में महराजगंज के पंचमुखी इटहिया शिव मंदिर में कांवड़ यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। लाखों श्रद्धालु नेपाल से जल लेकर आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। इस दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं, जिसमें पुलिस बल और सीसीटीवी निगरानी शामिल है। जानें इस प्राचीन मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था के बारे में।
 

सावन मास का महत्व और कांवड़ यात्रा

हिंदू धर्म में सावन का महीना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा के बाद श्रावण मास की शुरुआत होती है, जिसमें भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष कावड़ यात्रा 11 जुलाई से प्रारंभ होने जा रही है। महराजगंज जनपद के निचलौल तहसील में स्थित प्राचीन पंचमुखी इटहिया शिव मंदिर, जो भारत-नेपाल सीमा के निकट है, इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र बनता है। इसे मिनी बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है। नेपाल से लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी धाम से जल लेकर इटहिया शिव मंदिर में जलाभिषेक करने आते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए योगी प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं।


सावन में मेला और श्रद्धालुओं की भीड़

सावन के महीने में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी शिवालयों में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं, ताकि कांवड़ियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो। पंचमुखी इटहिया शिव मंदिर में हर साल सावन के दौरान मेला लगता है, जिसमें भारत और नेपाल से लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं।


मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार, इटहिया शिव मंदिर का इतिहास राजा रतन सिंह के समय से जुड़ा हुआ है और इसे पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था। यहां विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु और कावड़िए भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था बहुत गहरी है, और यहां जो भी भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


सुरक्षा व्यवस्था और प्रतिबंध

जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने बताया कि सावन के महीने में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। मंदिर में लगभग 200 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है और पूरे परिसर की निगरानी 28 सीसीटीवी कैमरों द्वारा की जाएगी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉल सेंटर और खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, जिन मार्गों से कांवड़िए आएंगे, वहां मांस और मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।