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सुंदरकांड पाठ के लाभ और विधि: जानें कैसे करें सही तरीके से

सुंदरकांड पाठ एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाने में मदद करता है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि सुंदरकांड का पाठ कब और कैसे करना चाहिए, इसके लाभ क्या हैं, और पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जानें कि कैसे यह पाठ आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
 

सुंदरकांड पाठ के अद्भुत लाभ


सुंदरकांड का पाठ: लाभ और विधि
रामचरितमानस का सुंदरकांड पांचवां अध्याय है, जिसमें हनुमान जी की भक्ति और बुद्धि का विस्तार से वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन के सभी दुख और संकट समाप्त होते हैं, और प्रभु श्रीराम तथा बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इसे कब और कैसे करना चाहिए।


सुंदरकांड पाठ का सही समय

सुंदरकांड का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है।


सुंदरकांड पाठ की विधि

सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। फिर हनुमान जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। देसी घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी को फूलमाला और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद विधिपूर्वक सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। पाठ समाप्त होने पर हनुमान जी की आरती करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में प्रभु को गुड़-चना, बूंदी के लड्डू, इमरती और फल का भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें।


सुंदरकांड पाठ के नियम


  • सुंदरकांड पाठ के समय साफ कपड़े पहनें और काले रंग के कपड़े न पहनें।

  • किसी से वाद-विवाद न करें।

  • किसी के बारे में नकारात्मक विचार न रखें।

  • तामसिक भोजन का सेवन न करें।

  • सुंदरकांड का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है।

  • पाठ अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।

  • अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए।


सुंदरकांड पाठ के अद्भुत लाभ


  • सुंदरकांड पाठ से हनुमान जी की कृपा बनी रहती है।

  • जीवन में आने वाले सभी दुख और संकट दूर होते हैं।

  • बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • प्रभु श्रीराम और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।

  • मन में शांति मिलती है।

  • सफलता के मार्ग खुलते हैं।