सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट की कमेटी निलंबित
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत गठित कमेटी के कार्यों को निलंबित करने का आदेश दिया है। यह कमेटी मंदिर के प्रबंधन का कार्य देख रही थी। इसके साथ ही, कोर्ट ने इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेजने का निर्णय लिया है, ताकि इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच की जा सके।
नई कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्या कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट इस अध्यादेश की वैधता पर निर्णय नहीं लेता, तब तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी का कार्य रुका रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर के सुचारू संचालन के लिए एक नई कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के एक पूर्व जज करेंगे। इस नई कमेटी में कुछ सरकारी अधिकारी और गोस्वामी परिवार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जो परंपरागत रूप से मंदिर की देखभाल करते आए हैं।
याचिका का विवरण
27 मई को देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि वह मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास गोस्वामी के वंशज हैं और उनका परिवार पिछले 500 वर्षों से मंदिर के प्रबंधन का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह मंदिर के दैनिक धार्मिक और प्रशासनिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उनकी याचिका में यह भी कहा गया कि मंदिर के पुनर्विकास की योजना को लागू करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।
सरकार का ट्रस्ट फंड उपयोग
15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के ट्रस्ट के फंड का उपयोग करने की अनुमति दी थी। सरकार को मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन खरीदने और कॉरिडोर के विकास के लिए मंदिर के फिक्स्ड डिपॉजिट का उपयोग करने की मंजूरी दी गई थी। यह निर्णय इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को बदलते हुए लिया गया था, जिसमें मंदिर के फंड का उपयोग जमीन खरीदने के लिए करने पर रोक थी।
सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह शनिवार तक इस मामले में अपना लिखित आदेश जारी करने की कोशिश करेगा। तब तक, मंदिर का प्रबंधन नई कमेटी के पास रहेगा, जिसका गठन सुप्रीम कोर्ट करेगा। पुरानी कमेटी का कार्य तब तक रुका रहेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा और जब तक उसका निर्णय नहीं आता, यह व्यवस्था लागू रहेगी।